
निर्भया गैंगरेप केस
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली ( Delhi ) में वर्ष 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप ( Nirbhaya Gangrape ) और हत्याकांड मामले में रोज नए मोड़ सामने आ रहे हैं। 17 फरवरी को एक बार फिर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ( Patiala House Court ) ने चारों दोषियों की फांसी को लेकर डेथ वारंट ( Death Warrant ) जारी कर दिया है। लेकिन ये फांसी एक बार फिर रुक सकती है। इसके पीछे है कानूनी विकल्प।
जी हां निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने से पहले नियमों के तहत 14 दिन का समय दिया गया है। ऐसे में दोषी अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए जानते हैं इस बार दोषियों के पास ऐसे कौनसे कदम हैं जो उन्हें फांसी से बचने के लिए कुछ और समय दे सकते हैं।
क्यूरेटिव पिटिशन का कदम
निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों में तीन दोषियों को पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है। लेकिन चौथे दोषी पवन गुप्ता के पास अभी कानूनी विकल्प बाकी हैं। लिहाजा पवन का पहला कदम क्यूरेटिव पिटिशन का हो सकता है। क्यूरेटिव पिटिशन दायर करते ही पवन गुप्ता की फांसी पर रोक लग जाएगी।
खास बात यह है कि इस फांसी पर रोक के साथ ही अन्य दोषियों की फांसी भी रुक जाएगी, क्योंकि कोर्ट साफ कर चुका है चारों दोषियों को साथ में ही फांसी दी जानी है।
लिहाजा पवन के क्यूरेटिव पिटिशन दायर करने के बाद तीसरी बार जारी हुआ डेथ वारंट अपने आप स्थगित हो जाएगा।
अर्जी दायर करने का समय साफ नहीं
पटियाला हाउस कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पवन के वकील रवि काजी ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि क्यूरेटिव या दया याचिका कब दायर की जाएगी। ऐसे में कोर्ट की ओर से मिले 14 दिन की मोहलत के दौरान आखिरी दिनों में अर्जी दायर की जा सकती है।
फांसी को थोड़ा और आगे ले जाने के लिए पवन इसी तरह के विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।
दया याचिका का विकल्प
पवन की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद उसके पास राष्ट्रपति को दया याचिका भेजने का विकल्प भी मौजूद है। यानी पहली याचिका खारिज हुई तो दूसरी याचिका के जरिये पवन एक बार फिर अपनी फांसी को रुकवा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
पवन की दया याचिका राष्ट्रपति की ओर से खारिज हो जाती है तो पवन गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे सकता है। इस तीसरे विकल्प से भी फांसी रुक सकती है।
आपको बता दें कि बाकी तीनों दोषियों मुकेश, विनय और अक्षय के कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं।
इससे पहले डेथ वारंट के तहत दोषियों को 22 जनवरी और दूसरे के तहत 1 फरवरी को फांसी होनी थी।
दोनों बार दोषियों की याचिकाएं लंबित होने के कारण पटियाला हाउस कोर्ट ने खुद ही कानून के तहत डेथ वारंट पर रोक लगाई थी। नए डेथ वारंट के तहत चारों दोषियों को 3 मार्च को फांसी होनी है।
एक साथ फांसी का प्रावधान
जेल नियमों पर गौर करें तो एक अपराध में एक साथ दोषी ठहराए जाने वालों को एक साथ ही फांसी देने का प्रावधान है। इसके साथ ही जब भी दोषियों को फांसी पर लटकाने की तिथि तय की जाती है तो अदालत की ओर से उन्हें कानूनी विकल्पों के उपयोग के लिए 14 दिन का समय दिया जाता है।
भूख हड़ताल पर है विनय
एक तरफ पवन अपने कानूनी विकल्पों के जरिये फांसी से बचने की कोशिश करेगा तो दूसरी तरफ तिहाड़ जेल से ही एक दोषी विनय शर्मा ने भी बड़ी चाल चली है। विनय 11 फरवरी से भूख हड़ताल पर बैठा हुआ है। ऐसे में फांसी के वक्त अगर उसका वजन कम होता है या फिर उसकी तबीयत खराब रहती है तो ये फांसी तब भी रुक सकती है।
ये भी है वजह
ऐसे विनय के जरिये भी दोषियों को फांसी होने में देरी हो सकती है। वहीं आपको बता दें कि अक्षय के वकील ने भी कहा है कि वो एक बार फिर राष्ट्रपति को दया याचिका विचार के लिए भेजेंगे। ऐसे में इस कदम के बाद भी फांसी को टाला जा सकता है।
Published on:
18 Feb 2020 12:54 pm
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