17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इंजेक्शन नहीं, अब सीधे नाक से दी जाएगी कोरोना वैक्सीन, वैज्ञानिक बोले- यह ज्यादा असरकारक

Highlights.- भारत बायोटेक कंपनी के नेजल टीके को ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी गई है- नेजल कोविड वैक्सीन का पहले चरण का ट्रायल शुरू कर दिया गया है - पहले चरण में नाक के जरिए टीकाकरण में 75 वालंटियर को चुना गया है  

2 min read
Google source verification

image

Ashutosh Pathak

Feb 15, 2021

vaccination.jpg

नई दिल्ली।

कोरोना महामारी से जंग के प्रयास में भारत वैक्सीनेशन के लिए अब नया तरीका अपनाने जा रहा है। जी हां, देश में अब वैक्सीनेशन के लिए लोगों को इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं होगी बल्कि यह नाक के रास्ते दी जाएगी। इसके लिए भारत बायोटेक कंपनी के नेजल टीके को ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी गई है। यही नहीं, नेजल कोविड वैक्सीन का पहले चरण का ट्रायल शुरू भी हो चुका है। पहले चरण में नाक के जरिए टीकाकरण में 75 वालंटियर को चुना गया है।

अब कोविड-19 की नेजल वै सीन का निर्माण हो रहा है। कोवै सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक की नेजल वै सीन को पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिल गई है। पहले चरण के 75 वॉलंटियर का चयन भी हो गया है। हालांकि जानवरों पर किए गए इसके परीक्षण सफल रहे हैं। वैज्ञानिकों का लक्ष्य व्य ित को नाक के जरिए सीधे श्वसन मार्ग में खुराक पहुंचाना है। नेजल स्प्रे वै सीन को इंजे शन की बजाय नाक से दिया जाता है। इसे ज्यादा कारगर माना जाता है योंकि कोरोना समेत हवा से फैलने वाली अधिकांश बीमारियों के संक्रमण का रास्ता प्रमुख रूप से नाक ही होता है।

नाक के अंदरूनी हिस्सों में इ युनिटी तैयार होने से ऐसी बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है। अमरीका जैसे देशों में इन् लुएंजा व नेजल लू के नेजल टीके हैं। केनेल कफ के लिए श्वानों को वै सीन नाक के रास्ते दी जाती है। अफ्रीका में 2004 में एंथ्रे स बीमारी के समय प्रयोग के तौर पर बंदरों को नेजल वै सीन दी थी।

इनके लिए हो सकती है फायदेमंद
इंग्लैंड के लैंससेस्टर यूनिवर्सिटी व टे सास बायोमेडिकल शोध संस्थान के रिसर्च में नेजल वै सीन से लंग्स को नुकसान कम करने में भी कारगर पाया गया। वैज्ञानिकों ने माना कि ये इंजे शन से छुटकारे के साथ उनके लिए भी कारगर हो सकती हैं जो इंजे शन फोबिया से ग्रसित हैं।

दुनिया में यहां चल रहा ट्रायल
ऑस्ट्रेलिया: यहां वैज्ञानिकों ने नेजल वै सीन का प्रयोग जानवरों पर किया। इसे कोरोना के खिलाफ प्रभावी पाया। यूरोपीय बिल्लियों पर फैरेट के नेजल टीके आइएनएनए-051 के प्रयोग में पाया गया कि कोरोना का असर 96 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
ब्रिटेन: ब्रिटिश मेडिकल एजेंसी के ट्रायल में चूहों की प्रजाति रेडेन्ट को दिए गए नेजल वै सीन के दो डोज में एंटीबॉडी और टी-सेल रेस्पॉन्स पाया गया। इसे कोरोना का कारण बताए जा रहे सार्स-कोव-2 की रोकथाम के लिए बहुत कारगर माना जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि नेजेल वै सीन लोगों के लिए इन् लुएंजा व कोरोना दोनों से प्रोटे शन तैयार कर सकती है। वैज्ञानिक आने वाले वर्षों में तीन ट्रायल कर इसका पता लगाएंगे कि एच1एन1, एच3एन2 और बी वायरस पर ये कितनी कारगर है?