गांव के लोग इस महामारी से बीते एक साल से बचे होने के लिए एक निर्णय को जिम्मेदार बताते हैं। उनका कहना है कि हमने मार्च महीने के दूसरे हफ्ते में पर्यटन कारोबार को पूरी तरह बंद करने का सामूहिक निर्णय लिया। इसके बाद गांव की सभी सीमाओं पर पहरा दिया, जिससे कोई बाहरी व्यक्ति यहां प्रवेश नहीं कर सके। शायद इसी सख्ती का नतीजा है कि गांव में कोरोना संक्रमण का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया।
-
इसके अलावा, गांव वाले इस महामारी से अब तक बचे होने के लिए भगवान के आर्शीवाद को भी प्रमुख मान रहे हैं। उनका कहना है, गांव में जमदग्नि ऋषि, नरसिंह भगवान, रेणुका माता और आठराहा करडू का मंदिर है। देवी-देवताओं के आशीर्वाद की वजह से भी अब तक हमें कोरोना नहीं छू सका है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 31 प्रतिशत जनसंख्या का टीकाकरण हो चुका है। इसी के साथ यह हिमाचल प्रदेश टीकाकरण अभियान में देश के अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल हो गया है। राज्य में अब तक 21 लाख 50 हजार 353 खुराकें दी जा चुकी हैं। राज्य वैक्सीन भंडार-1 और क्षेत्रीय वैक्सीन भंडार-2 सहित राज्य में 386 कोल्ड चेन प्वाइंट स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से इन टीकों का वितरण किया जा रहा है। वहीं, 17 मई को सूबे में 18 से 44 साल के लोगों के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ है। सप्ताह में दो दिन लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है।
-
गांव के प्रधान राजू राम के अनुसार, कोरोना महामारी पर रोक के लिए गांव के प्रतिनिधियों, युवक मंडल, महिला मंडल कमेटियों का गठन हुआ। हमने निर्णय लिया है कि आगामी अगस्त महीने तक गांव में पर्यटकों की आवाजाही पर रोक रहेगी। गांव के लोग भी सिर्फ बहुत जरूरी काम होने पर ही गांव से बाहर जाते हैं। बिना किसी काम गांव के बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। गांव के लोगों ने दिन-रात गांव की सीमाओं पर पहरा दिया, जिससे कोई बाहरी व्यक्ति अंदर नहीं आ सके।