रिपोर्ट के मुताबिक मरने वालों का आंकड़ा (Coronavirus Update) तेजी से बढ़ रहा है। वहीं इसके चलते महामारी के संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों का शव कई मामलों में परिजनों को नहीं मिल पा रहा था, कई मामलों में शव के लिए परिवार वालों को काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा था। जिसके तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) ने बड़ा फैसला लेते हुए कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के शवों को अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजनों को सौंपने की बात कही है। इसके साथ शव लेने के लिए परिजनों को प्रयोगशाला के नतीजों की पुष्टि का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
ट्वीट करते हुए दी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ट्वीटकरते हुए दिल्ली सरकार को लिखा कि ‘कोविड-19 के संदिग्ध मामलों में शव को प्रयोगशाला के नतीजे का इंतजार किए बिना परिजनों को सौंप दिया जाना चाहिए लेकिन शव को सरकार की ओर से तय दिशा-निर्देशों के तहत ही रखा जाना चाहिए। के जरिए भी इस बाबत लोगों को सूचित किया।’
तीसरे स्थान पर पहुंचा दिल्ली गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में संक्रमण के मामले बढ़कर करीब 39,000 हो गए हैं जिनमें से 1,200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में दिल्ली देश में तीसरे स्थान पर है। बढ़ते मामले को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा कि अगले दो दिनों में दिल्ली में कोरोना वायरस जांच की संख्या दोगुनी की जाएगी और छह दिनों बाद इसे तीन गुना तक बढ़ाया जाएगा।
शव का प्रबंधन कैसे किया जाए बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण से किसी की मृत्यु होने के बाद उसके शव का प्रबंधन कैसे किया जाए और क्या सावधानियां बरती जाएं, इस बारे में भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ दिशा-निदेश जारी कर चुका है, जिसमें बताया गया था कि शव को हटाते समय पीपीई का प्रयोग करना चाहिए। वहीं पीपीई एक तरह का ‘मेडिकल सूट’ है जिसमें मेडिकल स्टाफ़ को बड़ा चश्मा, एन95 मास्क, दस्ताने और ऐसा एप्रन पहनने का परामर्श दिया जाता है जिसके भीतर पानी ना जा सके। शव को प्लास्टिक के लीक-प्रूफ़ बैग में रखा जाए। उस बैग को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट की मदद से कीटाणुरहित बनाया जाए। इसके बाद ही शव को परिवार द्वारा दी गई सफेद चादर में लपेटा जाए।