
Prashant Bhushan (File Photo)
नई दिल्ली। पेगासस (Pegasus) मामले को लेकर मोदी सरकार लगातार घिरती हुई नजर आ रही है। एक तरफ संसद में विपक्ष सरकार को घेरे हुए है तो बाहर कई पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर रखा है।
हाल ही में मशहूर वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कुछ दस्तावेज ट्वीट करते हुए एनएसए के बजट के बढ़ने की बात कही है। प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट में कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, जिसकी अगुवाई NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) करते हैं। उसका बजट साल 2016-17 में 33 करोड़ से बढ़कर 2017-18 में 333 करोड़ रुपये हो गया। जिसमें से दो तिहाई हिस्सा साइबर सिक्योरिटी रिसर्च के लिए था।"
उन्होंने आगे लिखा कि, "यह वही समय है जब 100 करोड़ रुपये पेगासस खरीदने में खर्च किए गए ताकि जजों, चुनाव आयोग, एक्टिविस्ट और पत्रकारों की जासूसी की जा सके।"
क्या था दस्तावेजों में
प्रशांत भूषण के द्वारा किए गए ट्वीट के अनुसार 2011-12 में एनएसए के सचिवालय का बजट 17.43 करोड़ था, जो 2012-13 में 20.33 करोड़ हुआ। 2014 में इस बजट को 26.06 किया गया लेकिन जैसी ही भाजपा की सरकार बनी तो 2014-15 में एनएसए का बजट बढाकर 44.46 करोड़ रुपये किया गया। 2017-18 में यह बजट 333 करोड़ तक पहुंच गया और साझा किए गए दस्तावेजों के अनुसार 2021 में यह बजट 228.72 करोड़ रुपये है।
क्या है पेगासस मामला
बता दें कि हाल ही में अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने 17 मीडिया समूहों के साथ अनुबंध करते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि इजरायल के सॉफ्टवेयर पेगासस से भारत सरकार ने 300 लोगों के फोन टैप किए अथवा उन पर निगरानी रखी। जिनमें राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, अश्विनी वैष्णव समेत कई विपक्षी नेताओं व पत्रकारों के नाम शामिल हैं।
गौरतलब है कि पेगासस मामले को लेकर संसद में सरकार पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं और विपक्ष लामबंद होकर सरकार को चौतरफा रूप से घेरने में लगा हुआ है। हाल ही में कांग्रेस के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की अपील की है।
Published on:
23 Jul 2021 09:29 pm
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