इस सूची में देश के 111 पिछड़े जिलों में सबसे खराब दशा वाला झारखंड का पाकुड़ जिला अव्वल नंबर पर आया। जबकि इस सूची में तमिलनाडु के विरुधुनगर की स्थिति सबसे अच्छी बताई गई।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बृहस्पतिवार को देश के पिछड़े जिलों की दूसरी डेल्टा रैंकिंग को जारी किया। इन जिलों को आयोग ने आकांक्षी जिला बताया। इस सूची से इन जिलों में जून से अक्टूबर के दौरान हुई प्रगति का पता चलता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित झारखंड के सात जिले इस बार सूची में 20 सबसे खराब स्थिति वाले जिलों में शामिल हैं, जबकि पिछली बार प्रदेश के महज पांच जिले इन सबसे खराब 20 जिलों में शामिल थे।
पाकुड़ इस सूची में सबसे नीचे 111वें स्थान पर है, जबकि चतरा 109वें और गिरिडीह 108वें पायदान पर हैं। साहिबगंज 104वें, लातेहार 103वें और हजारीबाग 102वें स्थान पर हैं, जबकि पश्चिमी सिंहभूम जिला सूची में 97वें स्थान पर है।
जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासित बिहार में जून में नौ जिले इस सूची के सबसे खराब जिलों में शामिल थे, जबकि इस बार सिर्फ एक जिला कटिहार (93वें स्थान) सूची में नीचे से 20 जिलों में शामिल है।
झारखंड का रांची जिला जो पिछली बार 106वें स्थान पर था वह अब 10वें स्थान पर आ गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश का सिद्धार्थनगर जिला 101वें स्थान से छलांग लगाकर तीसरे स्थान पर और बिहार का जमुई जिला 99वें स्थान से छलांग लगाकर सूची में नौवें पायदान पर आ गया है। यह छलांग इन जिलों में हुए विकास का द्योतक है।
सूची में नीचे से प्रथम पांच स्थान पर पाकुड़ के अलावा, असम का हैलाकांडी, झारखंड का चतरा और गिरिडीह और नगालैंड का किफिरे जिला है। नीति आयोग के सीईओ ने कहा, “हमने लगातार प्रयास किया कि तीसरे पक्ष से प्रमाणित आंकड़ों का इस्तेमाल करके आकांक्षी जिलों में गुणात्मक विकास का आकलन सही समय पर पारर्शिता के साथ हो। इससे साक्ष्य आधारित नीति निर्माण के आधार पर स्पर्धात्मक और सहयोगात्मक संघीय व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे कम विकसित कुछ जिलों में तेजी से और प्रभावी ढंग से बदलाव लाने के मकसद से इस साल जनवरी में ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स (आशान्वित जिलों का रूपांतरण) कार्यक्रम शुरू किया था।