
PM Modi focussing on revival of Indian Economy
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) के प्रभाव का आकलन करने के लिए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( pm modi ) वित्त ( finance ministry ) और वाणिज्य मंत्रालयों ( commerce ministry ) के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी का पूरा ध्यान भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाने पर होगा।
दरअसल कोरोना वायरस के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बाद भारी तादाद में लोग बेरोजगार हुए और बाजार में मांग घट गई। उपभोक्ता मांग ( consumer demand ) गिरने के कारण पिछली तिमाही मंदी की स्थिति में आ गई। इसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और अब इसे फिर से पटरी पर लाने की जरूरत आ गई है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करीब डेढ़ घंटे की इस निर्धारित बैठक के दौरान वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के अधिकारी ( finance ministry officials ) मौजूदा हालात पर अपना प्रजेंटेशन ( experts tips ) देंगे।
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी शीर्ष 50 अधिकारियों से इनपुट ले रहे हैं। इससे पहले उन्होंने आर्थिक सलाहकार परिषद, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग में मुख्य और प्रधान आर्थिक सलाहकार के साथ तीन अलग-अलग बैठकें कीं थी।
कोरोना वायरस महामारी से उपजे संकट से निपटने के लिए सरकार ने मई में व्यवसायों के अस्तित्व पर ध्यान केंद्रित करने और आर्थिक पुनरुद्धार के लिए एक रोडमैप तैयार करने के साथ दुनिया के सबसे बड़े प्रोत्साहन पैकेजों में से एक 20.97 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की थी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था पर COVID-19 के प्रभाव का आकलन कर रही है और आवश्यकता पड़ने पर मुद्दों को हल करने के लिए और उपाय करेगी।
गौरतलब है कि बीते 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन के बाद भारत ने ऐतिहासिक परिदृश्य देखा है। लॉकडाउन की घोषणा के बाद तकरीबन सभी छोटे-बड़े उद्योग-धंधे, दफ्तर, कंपनियां समेत छोटे-मोटे काम भी बंद हो गए थे। इसके चलते इन कामों से जुड़े असंगठित क्षेत्र के मजजूर और दैनिक श्रमिक रोजी-रोटी ना मिलने के चलते अपने घरों को पैदल निकलने लगे। देशभर में इसके कारण जमकर हंगामा हुआ और कोरोना वायरस का बढ़ता खतरा भी मंडराने लगा।
इतना ही नहीं उद्योग-धंधे-दफ्तर बंद होने के चलते लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए और कंपनियों ने भी जमकर कर्मचारियों की छंटनी की। इसके साथ ही दिहाड़ी मजदूरों और रोज कमाने वाले भी दूसरों के सामने हाथ फैलाने पर मजबूर हो गए। रोजगार में आई इस अप्रत्याशित कमी के चलते देशभर में उपभोक्ता मांग में कमी आई और अभी भी बाजार में मांग में बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लोगों की जेब में धन और इसे लाने के लिए काम-धंधा या रोजगार जरूरी है।
Updated on:
16 Jul 2020 06:51 pm
Published on:
16 Jul 2020 06:10 pm
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