दुनिया की सबसे बड़ी इस ऑनलाइन इवेंट को पीएम मोदी करेंगे संबोधित इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी (
pm modi ) ने भारत के विकास सहयोग के अंतर्निहित दर्शन के रूप में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के विशेष महत्व पर प्रकाश डाला। पीएम मोदी ने भारत और मॉरीशस के बीच घनिष्ठ संबंधों को और मजबूत करने में जन-उन्मुख बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की भूमिका की सराहना की।
पीएम ने कहा कि आधुनिक डिजाइन और अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नया सुप्रीम कोर्ट भवन मॉरीशस न्यायपालिका के लिए एक उपयुक्त स्थान और सहयोग देगा। इसके साथ ही भारत और मॉरीशस के साझा मूल्यों का भी प्रतीक होगा। पीएम ने यह भी कहा कि यह परियोजना निर्धारित वक्त पर और शुरुआती अनुमानों से कम लागत पर ही पूरी हो गई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मॉरीशस के साथ विकास सहयोग दरअसल विकास साझेदारियों से जुड़े भारतीय दृष्टिकोण के केंद्र में है। भारत के विकास सहयोग में कोई भी शर्त अंतर्निहित नहीं होती है। इसके अलावा न ही कोई राजनीतिक या वाणिज्यिक हित जुड़ा होता है। विकास सहयोग के लिए भारत का मुख्य सिद्धांत हमारे साझेदारों का सम्मान करना है। इसके तहत प्रमुख प्रेरणा विकास के दौरान हमे मिली सीख का साझाकरण करना है। यह भारतीय विकास सहयोग को ‘सम्मान’, ‘विविधता’, ‘भविष्य के लिए चिंता’ और ‘सतत विकास’ के प्रमुख मूल्यों के रूप में विशिष्टता प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि निश्चित तौर पर आने वाले वर्षों में भारत-मॉरीशस साझेदारी और भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगी।
Made In India होंगे हथियार, रक्षा मंत्रालय ने बड़े बदलाव का प्रस्ताव पेश किया मॉरीशस के प्रधानमंत्री ( Prime Minister of Mauritius ) प्रविंद जगन्नाथ ने इस परियोजना के लिए भारत से मिली सहायता की सराहना की। यह दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग के प्रगाढ़ संबंधों को प्रतिबिंबित करती है। उन्होंने कहा कि भारतीय सहायता से निर्मित नया सुप्रीम कोर्ट भवन मॉरीशस में बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक नया मील का पत्थर है। इससे मॉरीशस की न्याय प्रणाली को और भी अधिक प्रभावकारी, सुलभ एवं समावेशी बनाने में मदद मिलेगी।
भारत के ‘सागर’ विजन (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) के अनुरूप नया सुप्रीम कोर्ट भवन हिंद महासागर क्षेत्र में मॉरीशस के एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को दर्शाता है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच भविष्य-उन्मुख साझेदारी को मजबूत करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।