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गाय और गो-पालकों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी, गोबर-गोमूत्र के उत्पादों से 8 लाख परिवार होंगे समृद्ध

Highlights. - गो-ग्राम योजना के तहत गोशालाओं से गैर दुधारू 8 लाख गाय दान में लेकर झारखंड के 8 हजार गांवों के 8 लाख घरों में पहुंचाया जाएगा - गांव-गांव में गो मूत्र व गोबर से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा - शुरुआत गोपाष्टमी पर 22 नवंबर को गोवर्धन तीर्थ में मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज व साध्वी ऋत्भरा करेंगे

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Ashutosh Pathak

Nov 17, 2020

dung of dairy

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नई दिल्ली।

देशव्यापी अभियान गो-ग्राम योजना के तहत देशभर की गोशालाओं से गैर दुधारू आठ लाख गाय दान में लेकर वनवासी बहुल झारखंड के 8 हजार गांवों के 8 लाख घरों में पहुंचाया जाएगा। गांव-गांव में गो मूत्र व गोबर से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इसकी शुरुआत गोपाष्टमी पर 22 नवंबर को गोवर्धन तीर्थ में मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज व साध्वी ऋत्भरा करेंगे। इसमें 60 गायों का वैदिक विधि से पूजन होगा। एकल अभियान के संस्थापक श्याम गुप्त के मुताबिक, गो को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए गोपाष्टमी पर संतों के सानिध्य में गोवर्धन तीर्थ में गो-ग्राम योजना की शुरुआत भी होगी।

यूं बनेंगे दोनों आत्मनिर्भर

गो-ग्राम योजना का पहला चरण अप्रेल से शुरू होगा। इससे पहले झारखंड के आठ हजार गांवों में एकल विद्यालय गो-पालकों को गोमूत्र व गोबर से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। गोमूत्र से फिनाइल, खेतों में कीटनाशक समेत अन्य उत्पाद बनाने की योजना है। उत्पादों को पूरे देश में पहुंचाया जाएगा।

सालाना 1500 करोड़ का खर्चा बचेगा

योजना से झारखंड राज्य की हजारों गोशाला का सालाना 1500 करोड़ रुपए का खर्च बच जाएगा। गैरदुधारू गाय पर औसत 50 रुपए के रोज के हिसाब से 8 लाख गाय का 4 करोड़ प्रति दिन खर्च होता है। सालाना आंकड़ा 14 अरब 60 करोड़ तक पहुंचता है। गायों के गोशाला से जाने के साथ यह खर्चा बचेगा।


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