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पुलवामा हमला: जिसने भारत को बदल दिया

locationनई दिल्लीPublished: Feb 14, 2021 04:38:07 pm

Submitted by:

Mahendra Yadav

देश पर हुआ एक ऐसा आतंकी हमला जिसने न केवल सियासत बदली, सुरक्षा बदली, विदेश नीति बदली बल्कि भारत का भूगोल तक बदल दिया।
पिछले दो सालों में 14 फरवरी को हुई इस आतंकी हमले के बाद क्या—क्या बदला? इसे आप यूं समझ सकते हैं।

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आनंद मणि त्रिपाठी.जयपुर

पुलवामा के लेथपोरा में आतंकी हमला। देश पर हुआ एक ऐसा आतंकी हमला जिसने न केवल सियासत बदली, सुरक्षा बदली, विदेश नीति बदली बल्कि भारत का भूगोल तक बदल दिया। हिंदुस्तान का हर वो वो आयाम बदल गया भारत जिसका 72 सालों से अनुसरण करता आ रहा था। इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जब केंद्र की नई सरकार का गठन हुआ तो दुश्मन को दुश्मन की भाषा में जवाब देने के लिए गृहमंत्री तक बदल दिया गया। हिंदुस्तान का रूख पूरे विश्व को अगस्त 2019 में साफ कर दिया गया तो वहीं 15 जून 2020 को गलवान में दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब दिया गया। पिछले दो सालों में 14 फरवरी को हुई इस आतंकी हमले के बाद क्या—क्या बदला? इसे आप यूं समझ सकते हैं।
सियासत
…और बड़ी हो गई भाजपा
पुलवामा हमले के बाद भारतीय जनता पार्टी देश की और बड़ी पार्टी बनकर उभरी। विपक्ष का बुरी तरह से सफाया हो गया। भाजपा ने इस जीत के बाद अपना गृहमंत्री बदलते हुए राजनाथ सिंह की जगह अमित शाह को दायित्व सौंपा। इसके बाद जम्मू—कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटा दिया। कई राजनेताओं को नजरबंद कर दिया गया। जम्मू—कश्मीर को दो राज्यों में विभक्त कर दिया गया। इसके साथ ही कश्मीर भारत में एक सार हो गया। एक निशान और एक विधान। सबसे बड़ी बात यह है अनुच्छेद में परिवर्तन के साथ ही राज्य में नेताओं द्वारा किए गए तमाम घोटाले सामने आए। रोशनी स्कीम इस समय कश्मीर की सबसे बड़ा घोटाला बनकर सामने आई है। हालांकि कश्मीर में धीरे—धीरे राज्य की सियासत को विस्तार दिया जा रहा है। जम्मू—कश्मीर में विकास के कार्यों को गति देने की तैयारी की गई है। सबसे बड़ी बात है कि कश्मीर के राजनैतिक मुददे की बदल गए हैं। पहले नेताओं की जुबान पर पाकिस्तान और अलगाववाद आता है। आज इनकी जुबान पर विकासवाद की बात है। जमीन की बात है और रोजगार की बात है।
सुरक्षा—

घाटी में कमांडर बनने को तैयार नहीं
कश्मीर इस हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जिस तरह से मोर्चा संभाला कश्मीर में अब आतंक की राह पकड़ने वाले लड़के कमांडर बनने से कंपाने लगे हैं। भर्तियां इस हद तक कम हो गए हैं कि पाकिस्तान में बैठे सरगना तकरीरें करते नजर आए। पहली बार आत्मसमर्पण का ट्रेंड भी बढ़ता दिखाई दिया। 2020 में कुल 09 समर्पण हुए। इस हमले के बाद ईडी, एनआईए, आईबी सहित सभी एजेंसियों ने तबाड़तोड़ कार्रवाई की। व्यापारियों, धार्मिक नेताओं और आतंकियों का गठजोड़ तोड़ा गया। बार्डर तीन लेयर बनाकर सील कर दिया गया। जम्मू—कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और सेना की संयुक्त सुरक्षा ग्रिड ने कश्मीर की धरती को जैश—ए—मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकियों से मुक्त कर दिया। 2019 में सुरक्षाबलों ने 120 स्थानीय और 32 पाकिस्तानी मूल के आतंकियों का मारा और 2020 में 203 आतंकी मारे गए। इसमें 166 स्थानीय आतंकी थे।
विदेश नीति

दुनिया को एलान,नहीं सहेगा हिंदुस्तान
यूं तो इसकी शुरुआत उरी सर्जिकल स्ट्राइक से ही शुरू हो गई थी। भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों को जान से मार दिया था लेकिन 26 फरवरी को पाकिस्तान में घुसकर जैश के अडडो पर भारतीय वायुसेना द्वारा की गई कार्रवाई दुनिया के लिए एलान था कि अब भारत केवल निंदा नहीं करेगा। केवल डोजियर नहीं सौंपेगा। अब जो भारत के खिलाफ साजिश करेगा,वह ऐसे ही भरेगा। यह एक बड़ा बदलाव था। बड़ी बात यह थी कि इस हमले के तत्काल बाद भारत की तरफ से की गई कार्रवाई की जानकारी दी गई और बताया गया कि आखिर भारत ने ऐसा क्यों किया है? इस पर भारत को पूरी दुनिया से समर्थन मिला। हालात यह है कि पाकिस्तानी सेना के पास अब तक अपने को साबित करने के लिए कोई मुददा नहीं मिल रही है क्यों कि पूरी पाकिस्तानी सेना कश्मीर के मुददे पर ही 72 सालों से जीती आ रही है।
कश्मीर—खो गया सुख चैन,अब हुई है रैन
कभी अपने सूफियान अंदाज में पर्यटकों का इस्तकबाल करने वाला कश्मीर इस घटना के बाद काफी हैरान और परेशान रहा। कश्मीर के पेशानी पर हमेशा शिकन रही कि पता नहीं कब क्या हो जाए? पहले पुलवामा, फिर धारा 370 और फिर रही सही कसर चीनी वायरस कोरोना ने पूरी कर दी। इन दो सालों में कश्मीरी अवाम ने बहुत सुखचैन खोया है लेकिन उम्मीद है कि 2021 में 4जी शुरू होने के साथ जो विकास की नींव रखी जा रही है वह न केवल कश्मीरी युवाओं को बल्कि पूरे कश्मीर को एक नई रोशनी देगी। एक नई किरण यहां के युवाओं का इस्तकबाल करेगी।
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