
पंजाब में किसान पराली जलाने पर मजबूर।
नई दिल्ली। लाख मना करने के बावजूद देश में कई जगहों पर किसान पराली जलाने पर मजबूर हैं। उनका कहना है कि पराली को जलाने के अलावा उनके पास कोई उपाय नहीं है।
जालंधर के फिल्लौर के पास किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है। किसानों का कहना है कि इन्हें जलाने के सिवाय उनके पास कोई विकल्प मौजूद नहीं है।
किसानों का कहना है कि वे असहाय हैं, इस मामले में सरकार उनकी कोई मदद नहीं करती है। सरकार किसी तरह की सब्सिडी उन्हें नहीं देती है।
क्या है पराली?
गौरतलब है कि धान की बाली कटने के बाद खेतों में बचे हुए हिस्से को कहीं पुआल, कहीं पइरा तो कहीं पराली कहते हैं, जिसकी जड़ें धरती में होती हैं। किसान फसल पकने के बाद ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वही चीज काम की होती है। वहीं बाकी हिस्सा जो बेकार होता है उसे यूं ही छोड़ दिया जाता है।
किसान के पास अगली फसल गेहूं बोने के लिए एक माह समय शेष होता है। इतने कम वक्त में खेत तैयार करना होता है। इस कारण किसान जल्दबाजी में सूखी पराली को जला डालते हैं। इस आग से निकलते धुएं के कारण पूरा उत्तर भारत गैस चैंबर में बदल जाता है।
खुद पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि अकेले पंजाब में 60 लाख एकड़ में धान की फसल तैयार की जाती है। एक एकड़ में कम से कम तीन टन पराली निकलती है।
सच्चाई ये है कि कभी पंजाब और हरियाणा की समस्या अब अब करीब आधे दर्जन राज्यों में है। ऐसे में हालात फिर से चिन्ताजनक हैं।
Updated on:
18 Nov 2020 04:08 pm
Published on:
18 Nov 2020 04:01 pm
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