सेना की वर्दी पहनना चाहता हूं
जब उनसे पूछा गया कि आपके 9 साल खराब करने में आप किसको जिम्मेदार मानते हैं, तो पुरोहित ने कहा कि मैं किसी को जिम्मेदार नहीं मानता। लेकिन मुझे लगता है कि मेरी किस्मत में ऐसा लिखा था, इसलिए ऐसा हुआ। पुरोहित ने कहा कि वह बाहर आने पर काफी खुश हैं, वह आगे भी देश की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सेना ने हमेशा उनका साथ दिया है। उन्होंने कहा कि सेना ने कभी भी उनका अपमान नहीं किया बल्कि उन्हें सेना और उनके सहयोगियों पर पूरा भरोसा था। वह हमेशा मेरे साथ खड़े थे। उन्होंने मुझे कभी इस बात का अहसास ही नहीं होने दिया कि वह सेना में नहीं हैं। पुरोहित ने कहा कि वह फिर से सेना की वर्दी पहनना चाहते हैं व सेना में लौटना चाहते हैं। बता दें कि पुरोहित का परिवार सेना से जुड़ा रहा है। पुरोहित के दादा और मामा भी आर्मी से जुड़े हुए थे।
बिना पूछे विदेश नहीं जा पाएंगे पुरोहित
बता दें कि पुरोहित 29 सितंबर, 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए ब्लास्ट में बतौर आरोपी पिछले 9 साल से जेल में बंद थे। इस ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए थे, जबकि 79 लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। पुरोहित को ब्लास्ट के लिए आरडीएक्स देने और साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पुरोहित को सशर्त जमानत दी है। जिसमें वह बिना कोर्ट की इजाजत लिए विदेश नहीं जा सकते। इससे पहले इसी साल 25 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दी थी। वहीं ब्लास्ट की दूसरी आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी।
इस मामले की जांच पहले एटीएस के पास थी, जिसके बाद जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपी गई थी। एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन जबकि कर्नल पुरोहित की जमानत का विरोध किया था। एनआईए ने कहा था कि पुरोहित के खिलाफ जो आरोप लगे हैं वह काफी गंभीर प्रकृति के हैं। इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।