
नई दिल्ली। अपनी खामियों और दुर्घटनाओं के लिए जाने जानी वाली भारतीय रेल ने अब सकारात्मकता की ओर कदम बढ़ाने का फैसला किया है। इसके चतले रेलवे ने अपनी टाइमिंग ठीक करने व लेट लतीफी की कमी को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना बनाई गई है। इस योजना के अंतर्गत ज्यादा दूरी वाली ट्रेनों को बहुत कम दूरी में तय करने पर जोर दिया गया है। दरअसल, इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए भारतीय रेलवे ने पाइथन, एनाकॉन्डा की मदद ली है।
इस आधार पर रखा गया नाम
पाइथन, एनाकॉन्डा का नाम सुनने में भले ही अटपटा लग रहा हो, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है इनकी मदद से भारतीय रेलवे सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने में काफी सहूलियत महसूस कर रही है। आपको बता दें कि पाइथन और एनाकॉन्डा ट्रेनों की लंबाई काफी होती है और ये देखने में बिल्कुल सांप की तरह दिखाई देती हैं। इसलिए ही इनका नाम इसी प्रजाति के नामों के आधार पर रखा गया है। वहीं आपको बता दें कि उत्तरी मध्य रेलवे को पाइथन, पश्चिमी रेलवे को एनाकॉन्डा और मध्य रेलवे को मारुति के नाम से जाना जाता है। विभागीय जानकारी के अनुसार उत्तर मध्य रेलवे की पाइथन और पश्चिमी रेलवे की एनाकोंडा मध्य रेलवे की मारुति और अन्य लंबी दूरी की ट्रेनें न केवल सामान को जल्दी से पहुंचाने में मदद कर रही हैं, बल्कि इन पर होने वाला खर्च भी अपेक्षाकृत काफी कम है।
109 लूप लाइन स्वीकृत
आगरा डिविजन के डिविजनल कमर्शल मैनेजर संचित त्यागी के अनुसार ये ट्रेनें नॉन स्टॉफ अपने निर्धारित स्थान के लिए रवाना होती हैं। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में इस तरह की तकरीबन 15 से 25 ट्रेनें प्रतिदिन चलाई जा रही हैं, जबकि अगले साल मार्च तक ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर 50 करने का प्लान है। उन्होंने बताया कि इन ट्रेनों के सफल संचालन के लिए लूप लाइन की आवश्यकता होती है, जिसके चलते तीन लाइनें तैयार की गर्ठ हैं। जिसमें से देश भर में 109 से ऊपर लूप लाइन स्वीकृत कर ली गई हैं।
Published on:
25 Sept 2017 02:55 pm
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
