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Rajiv Gandhi Birthday: राजीव गांधी ने ऐसे तय किया पायलट से प्रधानमंत्री बनने का सफर, बने Digital India के जनक

Former Prime Minister Rajiv Gandhi की नहीं थी Politics में रुचि Air India में बतौर Pilot वे अपनी जॉब से थे काफी खुश, आसमान की ऊंचाईयों ने नापने का था शौक भाई Sanjay Gandhi के निधन के बाद मां Indira Gandhi को मदद करने के लिए की Politics में एंट्री

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Rajiv Gandhi Birthday

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का पायलट से पीएम बनने तक का सफर

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ( Former PM Rajiv Gandhi ) की 76वीं जयंती है। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। वे ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनके कार्यकाल में देश ने 'कंप्यूटर क्रांति' देखी। डिजिटल इंडिया ( Digital India ) का जनक राजीव गांधी ( Rajiv Gandhi ) को ही कहा जाता है। यही नहीं देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी का राजनीति में आने का मन ही नहीं था। वे तो बतौर पायलट ( Pilot ) आसमान की ऊंचाईयों को नापना चाहते थे। हालांकि ये बात अलग है कि उन्होंने राजनीति में कदम रखने के बाद भी आसमान की बुलंदियों को छुआ।

आईए जानते हैं एक पायलट से पीएम बनने तक के राजीव गांधी के सफर पर एक नजर।

प्रधानमंत्री के तौर पर भले ही राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) का कार्यकाल छोटा रहा हो, लेकिन देश की सूरत बदलने वाले किस्सों में उनका बड़ा नाम है। राजीव गांधी का पूरा परिवार राजनेताओं से भरा था। बावजूद इसके राजीव ने कभी भी राजनीति में रुचि नहीं ली। शुरुआत में राजीव राजनीति से दूर भागते रहे। पेशे से पायलट राजीव ने पहले इंजीनियरिंग करने की कोशिश की।

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राजीव लंदन में पढ़ाई करने के बाद कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए, उसके बाद जब डिग्री नहीं मिली तो फिर वो इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने पहुंचे। हालांकि यहां भी उनकी खास कामयाबी नहीं और मन ना लगने के कारण उन्होंने ये भी छोड़ दिया।

इसके बाद राजीव गांधी ने फ्लाइंग क्लब में पायलट की ट्रेनिंग शुरू की। यहां राजीव को वो मिला जिसका वे इंतजार कर रहे थे। आसमान की ऊंचाईयों को छूना और सपना की लंबी उड़ान भरना। राजीव के सपनों को पंख लगे और वे एयर इंडिया में पायलट बन गए।

इन सबके बीच राजीव गांधी की मुलाकात एल्बिना से हुई. दोनों के बीच प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद एल्बिना को नया नाम सोनिया गांधी मिला।

संजय गांधी के निधन के बाद धीरे-धीरे राजीव गांधी की राजनीति में एंट्री तो हुई लेकिन उनका मन तब राजनीति में लगा नहीं था। उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से राजीव गांधी ने पहली बार उपचुनाव लड़ा। वह इस सीट से जीत गए और पहली बार संसद पहुंचे।

31 अक्टूबर को दिल्ली में इंदिरा गांधी ( Indira Gandhi ) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। देश की लोकप्रिय नेता और आयर लेडी के नाम से पहचान बना चुकीं इंदिरा गांधी का निधन हो गया।
इंदिरा की हत्या के वक्त राजीव दिल्ली में नहीं थे, उस वक्त वो पश्चिम बंगाल में रैली को संबोधित करने गए हुए थे। मां की हत्या के बाद राजीव गांधी विशेष विमान से दिल्ली लौटे। कुछ घंटों बाद ही उन्हें प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई गई।

दो महीने बाद यानी दिसंबर 1984 में लोकसभा चुनाव हुए इस चुनाव में कांग्रेस ने 524 सीटों में से 415 सीटों पर जीत दर्ज की। बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी का कार्यकाल 1984 से 1989 तक रहा। इस दौरान उन्होंने कई ऐसे काम किए जिन्होंने देश के इतिहास में अमिट छाप छोड़ दी।

21 मई 1991 की रात वह तमिलनाडु में चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे तो मंच की ओर आती एक महिला आत्मघाती हमलावर ने उन्हें माला पहनाने की कोशिश की। जैसे ही महिला हमलावर ने उन्हें माला पहनाई और पैर छूने के लिए झुकी एक जोरदार धमाके ने सब कुछ खत्म कर दिया। इस विस्फोट में राजीव गांधी का निधन हो गया।


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