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प्रसाद के नाम पर भक्तों को लूटता था राम रहीम, 1000 में मिर्च और 5000 था एक पपीते का दाम

राम रहीम धर्म की आड़ में वह अनुयायियों को महंगे दामों में भगवान का प्रसाद बताकर फल-सब्जियां बेचता था। 

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Devesh Singh

Sep 06, 2017

ram rahim

रोहतक. साध्वी यौन शोषण मामले में रोहतक जेल में 20 वर्ष की सजा काट रहे राम रहीम को लेकर आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। नई जानकारी के मुताबिक, धर्म की आड़ में वह अनुयायियों को महंगे दामों में भगवान का प्रसाद बताकर फल-सब्जियां बेचता था। बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह का सिरसा में डेरा करीब 700 एकड़ में फैला है, जहां वह सैंकड़ो एकड़ में खेती भी करता है। बाबा की सब्जी इतनी महंगी होती थी कि शायद ही दुनिया की किसी सब्जी मंडी में इतनी महंगी सब्जी बिकती होगी।

साइज के अनुसार तय होते थे रेट
राम रहीम अपने भक्तों को मन मुताबिक दामों पर सब्जी बेचता था। वह भक्तों को भगवान का प्रसाद के नाम पर फंसाता था। राम रहीम भगवान के प्रसाद के नाम अपने भक्तों को 5000 रुपए में एक पपीता बेचता था। गुरमीत डेरे के लोगों को एक हरी मिर्च एक हजार रुपए की, तो दो हरी मिर्चि दो हजार की बेचता था। बाबा बैंगन के साइज के हिसाब से उसके रेट तय करता था। एक छोटा बैंगन एक हजार रुपए का अगर बैंगन का साइज बड़ा हो तो उसकी कीमत और बढ़ ज्यादा होती थी। राम रहीम की सब्जी मंडी में मटर के पांच दानों का पैक 1000 रुपए में मिलता है। अगर आपने आधा किलो मटर लिया होता तो करीब लाखों में उसकी कीमत होती। बाबा दो टमाटर के दो हजार रुपए चार्च करता था।

‘बाबा की सब्जी खाएंगे तो बीमार नहीं होंगे’
सब्जी को भक्तों के घर पहुंचाने का जिम्मा भंगीदास का होता था। भंगीदास डेरे के वे भक्त हैं जो नाम चर्चा घर में मंच का संचालन करते हैं। ग्रामीण और शहरी नाम चर्चा घरों के भंगीदार अलग-अलग होते हैं, फिर इन दोनों के ऊपर ब्लॉक का भंगीदास होता है। डेरा को घर-घर से जोडऩे के लिए ही राम रहीम ने भंगीदास प्रथा बनाई थी। लोग राम रहीम के इतने अंध भक्त थे की वह किसी भी दाम पर इन सब्जियों को खरीद लेते थे। भक्त कहते थे हमारे पिता ने अपने हाथ से इन सब्जियों को उगाया है। इन्हें खाने से हमें कोई बीमारी नहीं होगी। अंधभक्ति ऐसी थी कि बाबा के बाग की सब्जी का स्वाद हर कोई चखना चाहता था। परिवार के एक सदस्य को भी हजारों की कीमत का मटर का एक दाना मिलता तो वो खुद को धन्य समझता।

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