
दिल्ली की धूल भरी आंधी की वजहों पर स्कूली बच्चों ने तैयार की रिपोर्ट
नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली में आ रही धूल भरी आंधी और धुएं के लिए यहां की हवा में नमी का बढ़ना और हवा के बहाव की दिशा में आए बदलाव की भी अहम भूमिका है। हवा का बहाव बहुत कम हो जाने की वजह से पीएम कण उसी जगह पर रह जाते हैं और फिर लोगों के लिए जानलेवा बन जाते हैं।
राष्ट्रीय राजधानी के पर्यावरण में पिछले दो दशक के दौरान आए ऐसे कई बदलावों को सामने लाया है यहां के स्कूली बच्चों की रिपोर्ट ने। छात्रों ने तापमान, नमी, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 व 10), हवा की दिशा व गति जैसे मानकों का वर्ष 2000 से 2017 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया। विश्लेषण से कई महत्वपूर्ण व रोचक तथ्य सामने आए हैं। इनकी रिपोर्ट के मुताबिक अब खासकर साल के आखिरी कुछ महीनों में हवा का बहाव न के बराबर रहता है। इससे पीएम कण एक ही स्थान पर रहते हैं और वितरित नहीं हो पाते। देखा गया है कि पिछले 18 वर्षों में औसत सापेक्ष नमी 56 प्रतिशत से बढ़कर 61 प्रतिशत हुई है। यह वायु में नमी को बढ़ा देती है और प्रदूषण कणों को भारी कर जमीन के करीब रखती है। डीपीएस, आरके पुरम की प्रधानाचार्य विनीता सहगल बताती हैं कि उनके स्कूल के बच्चों ने दिल्ली के मौसम संबंधी आंकड़ों का व्यापक अध्ययन कर इस स्थिति में बदलाव के उत्तरदायी कारणों को सामने लाया है।
पिछले पांच वर्षों में तापमान की बढ़ोतरी की प्रवृत्ति देखी गयी है। साथ ही पीएम 10 के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। तापमान में वृद्धि नमी के स्तर को बढ़ती है। ज्यादा वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन और पार्टिकुलेट मैटर के स्तरों के बीच मजबूत सह संबंध दिखाते हैं कि पिछले पांच वर्षों में दिल्ली में हवा की गति कम हुई है। हवा के कम प्रवाह से प्रदूषण के कण एक ही जगह बने रहते हैं।
अप्रैल, मई और जून में सुबह-शाम में तापमान के अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि यदि उच्च तापमान लगातार बना रहता है तो निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है और गरम हवा का प्रवाह होता है। परन्तु पिछले वर्षों में सुबह और शाम के तापमान में अंतर बढ़ा है अतः निम्न दबाव के क्षेत्र नहीं बन पाता है। मौसम संबंधी आंकड़ों तथा विश्लेषण में वर्ष 2010 के बाद मूलभूत परिवर्तन पाया गया। पिछले पाँच वर्षों में पीएम का स्तर सबसे अधिक उस समय था जब हवा अधिकतर उत्तर से आ रही थी। साल के आखिरी चार महीनों में पंजाब व हरियाणा से (उत्तर दिशा से) आने वाली हवाएं पराली जलने से उत्पन्न पीएम लेकर आती हैं।
अध्ययन में आर्यमन शर्मा एवं अनंदिता तिवारी के नेतृत्व में छात्रों की टीम ने पाया कि हरित पट्टी में बदलाव, पेट्रोल-डीजल जैसे इंधन से चलने वाले दोपहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी, पत्तों व कंडो को जलाना, पराली जलाना, दीपावली में आतिशबाज़ी और निर्माण कार्य भी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
सर्वेक्षण का निष्कर्ष
- वायु के प्रवाह की दिशा में बदलाव, खासकर साल के आखिरी तीन महीनों में।
- अब वायु के बहाव की दिशा मुख्यतः उत्तर दिशा हो गई है।
- जब उत्तर दिशा से हवा आती है, तब पीएम का स्तर सबसे अधिक हो जाता है
- पिछले 18 वर्षों में औसत सापेक्ष नमी 56 प्रतिशत से बढ़ कर 61 प्रतिशत हुई।
- तापमान में बढ़ोतरी की प्रवृति दर्ज की गई है।
- दिल्ली में पिछले 5 वर्षों में हवा की गति कम हुई है।
- वर्ष 2010 के बाद पर्यावरण के लिहाज से बड़े परिवर्तन हुए।
Updated on:
28 Jul 2018 03:21 pm
Published on:
28 Jul 2018 03:20 pm
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