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Rishi Panchami 2020: रविवार को ऋषि पंचमी, जानें पूजा का मुहूर्त और व्रत की विधि

इस साल 23 अगस्त को मनाई जाएगी ऋषि पंचमी ( Rishi Panchmi 2020 ) जानें, किस तरह पूजा किया जाता है और ऋषि पंचमी का महत्व क्या है?

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Kaushlendra Pathak

Aug 22, 2020

Rishi Panchami 2020: Know About Vrat Puja And time

रविवार को ऋषि पंचमी।

नई दिल्ली। देश में एक तरफ कोरोना वायरस (coronavirsu in India) को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ त्योहारों ( Festival Season ) का सीजन भी चल रहा है। इसी कड़ी में रविवार यानी 23 अगस्त को को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2020 ) मनाई जाएगी। ऋषि पंचमी ( Rishi Panchami) के दिन महिलाएं सप्तर्षियों ( Saptarishi ) के सम्मान में व्रत रखती हैं। साथ ही रजस्वला दोष से शुद्धि के लिए भी महिलाएं व्रत रखती हैं। आइए, हम आपको बता दें कि इस बार ऋषि पंचमी पूजा का मुहूर्त क्या होगा। साथ ही पूजा की विधि क्या होती है।

ऋषि पंचमी पर पूजा का मुहूर्त

हिन्दी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथी को हर साल ऋषि पंजमी ( Rishi Panchami ) मनाई जाती है। यहां आपको यह भी बता दें कि हरतालिका तीज ( Hartalika Teej ) के ठीक दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi ) के शुभारंभ के एक दिन बाद ऋषि पंचमी (Rishi Panchmi) मनाई जाती है। इस बार पंचमी तिथी की शुरुआत 22 अगस्त को शाम सात बजकर 57 मिनट पर हो रहा है। बताया जा राह है कि इस बार 23 अगस्त को शाम पांच बजकर चार मिनट तक पंचमी तिथी रहेगी। वहीं, ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2020) के दौरान पूजा का समय दो घंटे 36 मिनट का है। इस बार 23 अगस्त को दिन में 11 बजकर छह मिनट से दोपहर एक बजकर 41 मिनट तक आप सप्तऋषियों की आप पूजा कर सकते हैं। इस मौके पर महिला नदी, तालाब, खासकर गंगा नदी में स्नान करती हैं। नहाने के बाद महिलाएं सप्तऋषियों की पूजा करती हैं और दोष निवारण के लिए प्रार्थना करती हैं।

पूजा की विधि और महत्व

यहां आपको बता दें कि महिला सातों ऋषियों की मूर्तियां बनाती हैं और उनके सामने ऋषि पंचमी की पूजा करती हैं। सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद महिलाएं ऋषि पंचमी की कथा सुनती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं फलहार करती हैं, साथ नियमों का पालन करती हैं। वहीं, जब दिन समाप्त होता है तो ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उसके बाद बाद पारण कर महिलाएं व्रत तोड़ती हैं। व्रत के दौरान दिन में केवल एक बार भोजन करना चाहिए। इस दौरान साफ-सफाई और पवित्रता का पूरा ख्याल रखा जाता है।