
नई दिल्ली. पीएनबी घोटाले के बाद रोटोमैक घोटाले का राज खुलकर सामने आ गया है। हालांकि रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी की पीएनबी घोटाले का सच सामने आने के साथ ही चर्चा होने लगी थी। लेकिन सोमवार को सीबीआई के छापे और गिरफ्तारी के बाद से रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी सुर्खियों में छाए हुए हैं। फिलहाल उनसे सीबीआई के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं। आपको बता दें कि वह बैंकों का 800 करोड़ रुपए लेने के बाद विलफुल डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं। अलग-अलग बैंकों से सैकड़ों करोड़ रुपए लेने और जान बूझकर नहीं लौटाने मामला सामने आने के बाद सीबीआई ने उनके खिलाफ ये कारवाई की है।
10 बातों में घोटाले का राज:
1. रोटोमैक कंपनी का मामला पीएनबी स्कैम जैसा ही है। कंपनी ने कारोबारी विस्तार के लिए पांच बैंकों- इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक से लोन लिया। इन बैंकों ने आपसी सहमति के आधार पर शर्तों से समझौता कर लोन कंपनी को जारी किया। बताया जा रहा है कि रोटोमैक को लोन जारी करने की प्रक्रिया में बैंकों ने कायदे-कानूनों से परे जाकर कंपनी को विशेष तरजीह भी दी थी।
2. रोटोमैक को सबसे ज्यादा लोन यूबीआई की मुंबई शाखा ने 485 करोड़ रुपए और इलाहाबाद बैंक की कोलकाता शाखा ने 352 करोड़ रुपए दिया था। इनके अलावा उन्होंने कुछ अन्य बैकों से भी लोन लिए। बैंकों से लोन लेने के एक साल बाद भी न तो उन्होंने लोन की रकम लौटाई न ही ब्याज अदा किया।
3. लोन नहीं लौटाने की मंशा को भांपते हुए सबसे पहले कार्रवाई यूबीआई ने शुरू की। यूबीआई ने इसकी शिकायत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से भी की। यूबीआई सहित अन्य बैंकों से शिकायत मिलने पर आरबीआई ने इस मामले की जांच के लिए एक ऑथराइज्ड कमिटी गठित कर दी।
4. आरबीआई की कमिटी ने मामले की छानबीन करने के बाद 27 फरवरी, 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया। आरबीआई की कमिटी ने बैंक ऑफ बड़ौदा की पहल पर यह आदेश पारित किया था। इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन ने कोई सार्थक कदम नहीं उठाए। आरबीआई द्वारा डिफॉल्टर घोषित करने के बाद कंपनी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की।
5. इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को संपत्तियों या किस्तों का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया जिनका बैंक ऑफ बड़ौदा को भुगतान किया गया है। कंपनी के वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि रोटोमैक द्वारा चूक की तिथि के बाद से इस बैंक को 300 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की संपत्तियों की पेशकश किए जाने के बावजूद बैंक ऑफ बड़ौदा ने उसे जान बूझकर डिफॉल्टर घोषित कराने की कार्रवाई की।
7. दूसरी तरफ बैंक की ओर से वकील अर्चना सिंह ने हाईकोर्ट में बैंक का पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी को अपने बकाए का निपटान करने के लिए 550 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी के निदेशक लोन रीपेमेंट से बचने के लिए दूसरी कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं। वकील ने इस बात का भी जिक्र किया कोठारी इस मामले को निपटाने के बजाए केवल टालमटोल कर डेट ले रहे हैं। कंपनी की मंशा लोन लौटाने की नहीं है।
8. हाईकोर्ट में ये मामला चल ही रहा था कि कानपुर माल रोड के सिटी सेंटर स्थित रोटोमैक के ऑफिस पर प्रबंधन ने ताला जड़ दिया। उसके बाद से विक्रम कोठारी की देश से छोड़ने की खबरें आने लगीं। उसके बाद बैंक द्वारा संपर्क करने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इससे साफ हो गया कि कोठारी बैंकों का पैसा लौटाना नहीं चाहते हैं और देश से बाहर चले जाने की योजना पर काम कर रहे हैं।
9. रविवार विक्रम कोठारी कानपुर में एक शादी समारोह में सबके सामने दिखे। वहां पर उन्होंने कहा कि बैंकों ने मेरी कंपनी को नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) घोषित किया है, न कि डिफॉल्टर। मामला अब भी नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में है। मैंने लोन लिया है और इसे जल्द वापस करूंगा। साथ ही उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि वो देश छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।
10. खबर पब्लिक डोमेन आते ही सोमवार सुबह सीबीआई ने विक्रम कोठारी के खिलाफ केस दर्ज किया और उनके तीन ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान ही उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया। इस समय कोठारी सीबीआई की गिरफ्त में हैं और जांच अधिकारी 800 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी के इस मामले में पूछताछ कर रही है।

Published on:
19 Feb 2018 02:33 pm
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