21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- समस्या आरक्षण नहीं, आरक्षण की राजनीति है

बिहार चुनाव के दौरान भागवत की तरफ से आरक्षण की समीक्षा को लेकर दिए गए बयान को लेकर काफी बवाल मचा था।

2 min read
Google source verification
d

संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- समस्या आरक्षण नहीं, आरक्षण की राजनीति है

नई दिल्ली। आरक्षण को लेकर देशभर में चल रहे बवाल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि आरएसएस ने हमेशा आरक्षण व्यवस्था का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण कोई समस्या नहीं है, लेकिन आरक्षण की राजनीति समस्या है। गौरतलब है कि बिहार चुनाव के दौरान भागवत की तरफ से आरक्षण की समीक्षा को लेकर दिए गए बयान को लेकर काफी बवाल मचा था।

आरएसएस आरक्षण का समर्थन करता है

उन्होंने कहा, 'सामाजिक कलंक को मिटाने के लिए संविधान में प्रदत्त आरक्षण का आरएसएस पूरी तरह समर्थन करता है। आरक्षण कब तक दिया जाना चाहिए, यह निर्णय वही लोग करें, जिनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। जब उन्हें लगे कि यह जरूरी नहीं है, तो वे इसका निर्णय लें। तब तक यह जारी रहना चाहिए। इस व्यवस्था के प्रारंभ से आरएसएस का यही विचार है और यही विचार रहेगा।'

बदला-बदला सा भागवत का अंदाज

उन्होंने कहा, 'आरक्षण कोई समस्या नहीं है, समस्या आरक्षण की राजनीति से है। समाज का एक अंग पीछे छूट गया है, यह हमारे कर्मों का परिणाम है। इस 1000 साल पुरानी बीमारी को ठीक करने के लिए हमें 100-150 साल पीछे जाना होगा और मैं नहीं समझता कि यह कोई महंगा सौदा है।' भागवत का यह ताजा रुख उनके 2015 के रुख से अलग है, जब उन्होंने सार्वजनिक तौर पर आरक्षण नीतियों की समीक्षा की मांग की थी।

एससी-एसटी अधिनियम पर भी बोले

एससी/एसटी अत्याचार निवारक अधिनियम को कमजोर करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टिप्पणी से इनकार करते हुए भागवत ने कानून के प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत पर जोर दिया। भागवत ने कहा कि अत्याचार रोकने के लिए अकेले कानून पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके लिए सामाजिक सौहार्द्र की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'दलितों पर अत्याचार होते हैं। इसीलिए यह कानून बनाया गया। लेकिन कानून को ठीक से लागू किया जाना चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। यह सच्चाई है कि कानून को सही से लागू नहीं किया गया और इसका दुरुपयोग भी हुआ है।'