ऑर्गनाइजर ने लेख में लिखा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन बड़ा मुद्दा छाया रहा। लेकिन, शाहीन बाग के मुद्दे को AAP ने सही इस्तेमाल किया, वो भी अप्रत्यक्ष रूप से किया गया है। लेख में कहा गया है कि CAA के नाम पर मुस्लिम कट्टरपंथ का ये जिन्न जो प्रयोग में लाया जा रहा है, वह केजरीवाल के लिए नया टेस्टिंग ग्राउंड हो सकता है। केजरीवाल किस तरह इस मसले से निबटते हैं? क्या हनुमान चालीसा को पढ़ना सिर्फ एक हथियार था? क्या करप्शन का मसला आगे भी रहेगा? इनपर दिल्ली वाले जरूर जवाब मांगेंगे। यहां आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के नेताओं ने शाहीन बाग के मसले पर भड़काऊ बयान दिए थे, जिनपर काफी विवाद हुआ था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक बयान में माना था कि ऐसे बयानों के कारण पार्टी को चुनाव में नुकसान हुआ है।
इस लेख में चुनाव को लेकर कई मुद्दों का उल्लेंख किया गया है। लेख में कहा गया है कि दिल्ली चुनाव के नतीजे कई विषयों पर सोचने के लिए मजबूर करते हैं, इनमें विकास से लेकर नागरिकता संशोधन एक्ट समेत कई मुद्दों ने अहम रोल निभाया। दिल्ली में हमेशा वोटर कांग्रेस बनाम बीजेपी में बंटा रहा है, लेकिन लगातार MCD में कब्जा करने के बाद भी बीजेपी 2013 में कांग्रेस को मात नहीं दे सकी।