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भारत की परेशानी बढ़ी, रूस ने दिया चीन और पाकिस्तान का साथ

Published: Dec 29, 2016 01:26:00 pm

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रूस ने भारत की दोस्ती को दांव पर लगाते हुए चीन और पाकिस्तान का साथ चुना है।

india and russia

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नई दिल्ली। रूस ने भारत की दोस्ती को दांव पर लगाते हुए चीन और पाकिस्तान का साथ चुना है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा काउंसिल में रूस ने भी चीन और पाकिस्तान के साथ ही तालिबान के चुनिंदा नेताओं से प्रतिबंध हटाने की बात की। जहां भारत को सबसे बड़ा खतरा अफगानिस्तान में तालिबान से है वहीं इस मामले में रूस, चीन और पाकिस्तान के एक हो जाने से भारत को एक बड़ा झटका लगा है।

भारत तालिबान को अपने लिए मानता है एक बड़ा खतरा

भारत लंबे समय से कह रहा है कि तालिबान को पाकिस्तान की सैन्य ताकत की मदद मिल रही है। अभी तक रूस भारत का मित्र देश ही समझा जाता रहा है। वहीं अब रूस, चीन और पाकिस्तान साथ मिलकर अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। तीनों देशों ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ इस अभियान में तालिबान को इस्तेमाल करने का फैसला किया है। इससे अफगानिस्तान में पाकिस्तान के मजबूत होने की संभावना बढ़ गई है, वहीं इसके कारण भारत और रूस की दोस्ती पर काफी गंभीर असर पड़ सकता है।

रूस के इस फैसले से भारत के साथ दोस्ती लग सकती है दाव पर

मंगलवार को चीन, पाकिस्तान और रूस ने अफगानिस्तान में सुरक्षा हालातों की बिगड़ती स्थिति पर चर्चा के लिए मॉस्को में मुलाकात की। अफगानिस्तान सरकार ने ऐसे किसी कदम का कड़ा विरोध किया है, लेकिन इसके बावजूद ये तीनों देश अफगानिस्तान के लिए अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। उधर, ईरान को भी इस समूह में शामिल करने की तैयारी शुरू हो गई है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में रूस के जानकार नंदन उन्नीकृष्णन ने कहा कि इस समय भारत और रूस के बीच बातचीत काफी सीमित है। ऐसे में रूस का यह कदम भारत के साथ उसके संबंधों को बिगाड़ सकता है।

कुछ तालिबानी नेता प्रतिबंधित सूची से बाहर हो सकते हैं

काबुल और तालिबान के बीच शांतिपूर्ण वार्ता स्थापित करने में इन लोगों की भूमिका के मद्देनजर उन्हें संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची से हटाए जाने पर विचार किया गया है। अगर रूस और चीन अपने इस रुख पर कायम रहते हैं और अगर अमेरिका सुरक्षा परिषद में उनके इस फैसले के खिलाफ वीटो नहीं करता है, तो इसका नतीजा यह होगा कि कुछ टॉप तालिबानी नेताओं का नाम यूएप की प्रतिबंधित सूची से निकाल दिया जाएगा। उधर अफगानिस्तान ने तालिबान के नए प्रमुख का नाम भी इस प्रतिबंधित सूची में डालने की मांग की है।

भारत और ईरान की परेशानी बढ़ सकती है

ये फैसला भारत की परेशानी को बढ़ा सकता है। बता दें कि भारत को पहले ही इस बैठक से दूर रखा गया है। साथ ही तालिबान को वो अपने लिए एक बड़ा खतरा भी मानता है। इस घटना के बाद भारत का डर और भी ज्यादा बढऩे की उम्मीद है। उधर ईरान भी अफगानिस्तान के आने वाले कल के लिए काफी परेशान है। उसे डर है कि सीरिया और इराक से निकाले जाने के बाद आईएस के आतंकवादी अफगानिस्तान में शरण ले सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो ईरान के लिए गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा।

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