अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद और सबरीमला समरक्षणा समिति ने मध्यरात्रि से 24 घंटे की हड़ताल शुरू करने का आह्वान किया है। त्रावणकोर देवोस्वोम बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर इस बात की जानकारी दी। अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया के नेतृत्व में दक्षिणपंथी संगठन और सबरीमाला समरक्षणा समिति ने मध्यरात्रि से 24 घंटे की हड़ताल शुरू करने का आह्वान किया है।
भाजपा और राजग के अन्य सहयोगियों ने सबरीमाला एक्शन काउंसिल की ओर से आहूत की गई 12 घंटे की हड़ताल को अपना समर्थन दिया है। यह हड़ताल श्रद्धालुओं के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के विरोध में बुलाई गई है। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि वह इस हड़ताल में शामिल तो नहीं होगी लेकिन पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल सन्निधानम मंदिर के पूर्व त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड के अध्यक्ष प्रार्थना गोपालकृष्णन ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सबरीमला मंदिर परंपरा के बारे में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्ष सही तरीके से रखा। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं के लिए मंदिर का कपाट खोलने का आदेश सुना दिया। उन्होंने कहा कि आस्था और संविधान के बीच टकराव उचित नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार अध्यादेश लोकर यथास्थिति बरकरार रखने का काम करे। उन्हेंने कहा कि मंदिर परिसर में अब तक 10 से 50 साल तक की कोई भी लड़की या महिला ने प्रवेश नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करने के केरल सरकार के फैसले के बाद कार्यकर्ताओं में गुस्सा बढ़ गया है। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित इस मंदिर के आस-पास तनाव का माहौल बना हुआ है।
बुधवार शाम को सबरीमला का कपाट खुलने के बाद भी प्रतिबंधित उम्र वाली कोई भी महिला दर्शन करने में सक्षम नहीं हो पाई। इसके बावजूद सबरीमला को लेकर तनाव की स्थिति है। समर्थक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं और सरकार के सामने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर अमल करने की चुनौती है। आंध्र प्रदेश की पूर्वी गोदावरी जिला निवासी माधवी शीर्ष राजस्वला आयु वर्ग की पहली महिला हैं जो अदालत के फैसले के बाद सबरीमाला पहाड़ी पर चढ़ने में तो कामयाब रहीं लेकिन वो भगवान अयप्पा का दर्शन नहीं कर पाईं। पम्बा और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती के बावजूद समर्थकों के विरोध के कारण माधवी को बिना दर्शन किए लौटना पड़ा।