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‘शनि देवता नहीं हैं’ वाले बयान पर संतों द्वारा शंकराचार्य का विरोध

कहा था, “शनि भगवान नहीं बल्कि इन्हें दूर भगाने का उपाय होता है, इनको बुलाने के लिए पूजा नहीं होती।”

Jan 29, 2016 / 09:09 am

पुनीत पाराशर

shankaracharya

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नई दिल्ली। शनि शिंगणापुर मंदिर विवाद में अब शंकराचार्य भी लिपटते नजर आ रहे हैं। शनि को देवता नहीं मानने के शंकराचार्य के बयान के बाद हरिद्वार के संतों ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का विरोध किया है। शंकराचार्य का विरोध करने वालों ने कहा शनि भगवान हैं और उनकी पूजा होनी चाहिए।

गौरतलब है कि शनि के भगवान होने पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि, “शनि भगवान नहीं बल्कि इन्हें दूर भगाने का उपाय होता है- इनको बुलाने के लिए पूजा नहीं होती। न जाने क्यों महिलाएं शनि पूजा का करना चाहती हैं। इससे उनका कोई भला होने वाला नहीं है।”

बता दें कि इस मामले में साध्वी प्राची, उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद और जूना अखाड़ा के धीरेन्द्र पुरी ने शंकराचार्य के बयान का विरोध किया है।

शनि शिंगणापुर में महिलाओं द्वारा पूजा करने के मुद्दे पर शंकराचार्य ने कहा था कि, “ये धार्मिक मामला है- हर जगह महिलाओं को राजनीतिक आजादी की बात नहीं करनी चाहिए। महिलाओं को सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक आजादी मिल चुकी है, कई राज्यों में महिलाएं मुख्यमंत्री बन चुकी हैं।”

पहले भी विवादों में रहे हैं शंकराचार्य
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने इसके पहले साईं की पूजा करने और भगवान मानने का भी विरोध किया था। उन्होंने बाकायदा इसके विरोध में धर्म संसद भी बुलाई थी और साईं की पूजा का विरोध करने का ऐलान किया था।

टूटी थी 400 साल पुरानी पंरपरा
मुंबई से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर शनि शिंगणापुर मंदिर में महिला श्रद्धालु के दर्शन के बाद से विवाद शुरू है। एक युवती ने 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए शनि की मूर्ति पर तेल चढ़ा दिया था। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने महिला को रोकने के लिए महिला पुलिस को तैनात किया था।

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