
supreme court
नई दिल्ली. पारासी लड़की अगर किसी हिंदू से शादी कर ले तो उसका धर्म बदलेगा या नहीं इस का फैसला अब संविधान पीठ करेगी। पारसी विवाह कानून के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया। इसमें यह सवाल किया गया है कि क्या किसी हिंदू पुरुष से विवाह करने के बाद किसी पारसी महिला का धर्म परिवर्तन हो जाता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसा समझा जाता है कि हिंदू पुरुष से विवाह करने के बाद सांस्कृतिक परंपराओं के अनुरुप पारसी महिला का हिंदू धर्म में धर्मांतरण हो गया होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ से इसी संबंध में पूछा है कि क्या किसी हिंदू से शादी करने के बाद एक पारसी महिला का अपने आप हिंदू धर्म में धर्मांतरण हो जाता है।
चीफ जस्टिस ने कहा संविधान पीठ अच्छे से बताएगी
केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ ज्यादा अच्छे तरीके से बता सकती है, जैसा कि 'ट्रिपल तलाकÓ के मामले में भी हुआ था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बड़ी बेंंच संस्कृति का अध्ययन कर यह तय करेगी कि क्या एक महिला का धर्म शादी के बाद अपने आप बदल जाता है। शीर्ष कोर्ट गोलरोक गुप्ता की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत एक पारसी महिला जब हिंदू पुरुष से विवाह करती है तो उसका अपने आप धर्म बदल जाता है।
1991 में हिंदू से की थी शादी
गोलरोक एक पारसी महिला है जिसने 1991 में एक हिंदू लड़के से शादी की थी। शादी के बाद भी वह पारसी धर्म का पालन करती रही है। गोलरोक ने एक दूसरी पारसी महिला दिलबार वाल्वी का उदाहरण दिया जिसने एक हिंदू से शादी की। जब दिलबार की माता का देहांत हुआ तो उसके अंतिम संस्कार में वलसाड पारसी अंजुमन ट्रस्ट ने शामिल नहीं होने दिया गया। गोलरोक ने यह आशंका जताई है कि उसके साथ भी ऐसा ही हो सकता है, इसलिए यह स्पष्ट किया जाए कि क्या शादी के बाद मेरा धर्म बदलेगा या नहीं।
Published on:
09 Oct 2017 02:45 pm
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
