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सुप्रीम कोर्ट: अयोध्‍या मुद्दे पर जनवरी में होगी सुनवाई, नई बेंच हो सकती है गठित

27 सितंबर 2018 को तत्‍कालीन प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने 29 अक्‍टूबर की तारीख अयोध्या की विवादित भूमि के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई के लिए मुकर्रर की थी।

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सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर पर सुनवाई शुरू, नियमित सुनवाई पर आज आ सकता है फैसला

नई दिल्‍ली। अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रही राजनीति के बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई हुई। सुनवाई कुछ मिनट ही चल पाई और सुप्रीम कोर्ट ने इसकी अगली तारीख जनवरी 2019 तय दी। सोमवार की पूरी बहस 3 मिनट की हुई और इस मामले को तीन महीने के लिए टाल दिया गया। अब इस मुद्दे पर बहस जनवरी में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए नई बेंच गठित की जा सकती है। जनवरी में ही यह तय होगा कि इसकी नियमित सुनवाई कब से होगी।

13 याचिकाएं विचाराधीन

अयोध्‍या में जमीन के मालिकाना हक (टाइटल सूट) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 11:30 बजे से सुनवाई शुरू हुई। इस मुद्दे पर 13 याचिकाएं अदालत के समक्ष विचाराधीन हैं। सभी याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी। सुनवाई के बाद इस बात का फैसला होना था कि विवादित भूमि पर वाजिब हक किसका है। इस मसले पर प्रधान न्‍यायाधीश की अध्‍यक्षता वाली तीन सदस्‍यीय पीठ के समक्ष बहस हुई। बता दें कि बीते 27 सितंबर को तत्‍कालीन प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने 29 अक्‍टूबर की तारीख विवादित भूमि के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई के लिए मुकर्रर की थी।

असल विवाद क्‍या है?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पीठ को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई करनी है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और जिस जगह भगवान राम लला विराजमान हैं, के बीच बांटने का आदेश दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाए। जिस जगह रामलला की मूर्ति है वहां रामलला को विराजमान रहने दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए। बाकी की एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए।

लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की विवादित जमीन पर हिंदू महासभा ने याचिका दायर कर दी। दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाईं। कुल 13 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं। सभी याचिकाएं विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर ही है।

मंदिर मुद्दे पर नई पीठ

अयोध्‍या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ का नेतृत्‍व प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने किया। तीन सदस्‍यीय पीठ में उनके अलावा न्‍यायाधीश संजय किशन कौल और न्‍यायाधीश केएम जोसेफ शामिल रहे।

पुरानी पीठ
इससे पहले राम मंदिर विवाद पर गठित पीठ का नेतृत्‍व सुप्रीम कोर्ट के तत्‍कालीन न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा कर रहे थे। उनके साथ पीठ में न्‍यायाधीश अशोक भूषण और न्‍यायाधीश एस अब्‍दुल नजीर शामिल थे।

जल्‍द फैसलेे का दबाव

आपको बता दें कि 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लं‍बित हैं। एक दशक पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन बराबर हिस्सों में तीनों पक्षकारों-भगवान रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को बांटने का सुझाव दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ विवाद के पक्षकार सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। तब से यह मामला अदालती कार्रवाई में उलझा हुआ है। अब इस बात को लेकर सरकार और अदालत पर दबाव भी है कि इस मामले की अदालत नियमित सुनवाई करे और अपना फैसला सुनाए।