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Assam में परिसीमन पर कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल, SC ने केन्द्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस

Assam में परिसीमन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( SC ) में सुनवाई Supreme Court ने केन्द्र और असम सरकार को भेजा नोटिस याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल

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Supreme Court

असम में परिसीमन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस।

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ( Central Government ) ने फरवरी महीने में असम ( Assam ) में परिसीमन ( Delimitation Exercise) को लेकर आदेश जारी किया था। अब केन्द्र के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और असम सरकार ( Assam Government ) को नोटिस जारी किया है।

असम में परिसीमन को लेकर SC में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील कप्पिल सिब्बल ( Kapil Sibal ) ने असम में परिसीमन को लेकर सवाल उठाए हैं। सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि आखिर केन्द्र सरकार परिसीमन के लिए आदेश कैसे दे सकता है। जबकि, साल 2015 में एक अधिसूचना जारी कर राज्य को अशांत क्षेत्र कहा गया है। CJI एस ए बोबड़े ( S A Bobde ) की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए इस मामले में केन्द्र और असम सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

'परिसीमन की प्रक्रिया में जल्दबाजी'

याचिकाकर्ता Brelithamarak और भानु जय राभा, जो मूलरूप से असम के निवासी हैं ने आरोप लगाया कि विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की लंबित प्रक्रिया का निर्णय न केवल जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था बल्कि परिसीमन करने के पीछे एक अलग ही विचार था। उन्होंने दावा किया कि असम राज्य निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया 2008 में स्थगित कर दी गई थी। और परिसीमन अधिनियम, 2002 में संशोधन के अभाव में तकरीबन 10 साल बाद इसे फिर से शुरू किया जा रहा है। 2001 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर आयोजित किया गया है।

कपलि सिब्बल ने उठाए सवाल

कपिल सिब्बल ने कहा कि नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राज्य में उग्रवादी युवाओं को भड़काकर स्थिति खराब की जा सकती है। वहीं, गवर्नर ने 2020 तक पूरे इलाके को अशांत क्षेत्र के रूप में घोषित किया है। सिब्बल ने कहा कि ऐसे में मार्च में ही राज्य सामान्य स्थिति में कैसे पहुंच गया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार असम राज्य में परिसीमन के लिए आठ फरवरी 2008 की अधिसूचना रद्द कर दी गयी थी। याचिकाकर्ता का यह भी दावा है कि 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन की कार्रवाई किए जाने के बावजूद केन्द्र सरकार 2001 की जनगणना के आधार पर इसे पूरा करने की कोशिश कर रही है।