
अंतरिक्ष में भारत की बड़ी खोज।
नई दिल्ली। पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस संकट ( coronavirus crisis ) से जूझ रही है। लेकिन, इस संकट के बीच भारत ( India ) को अंतरिक्ष ( Outer Space ) में बड़ी कामयाबी मिली है। भारतीय सेटेलाइट एस्ट्रोसैट ने आकाशंगगा ( Galaxies ) से निकलने वाली तीव्र पराबैंगनी का किरण का पता लगाया है। इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफीजिक्स यानी आइयूसीए के नेतृत्व में एक वैश्विक टीम ने इसकी खोज की है।
पुणे स्थित IUCAA ने बतााया कि जिस आकाशगंगा ( Galaxies) से निकलने वाली तीव्र पराबैंगनी किरण का पता लगाया है, वह पृथ्वी से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। संस्थान का कहना है कि भारत के एस्ट्रोसैट के पास पांच विशिष्ट एक्सरे और टेलीस्कोप उपलब्ध , जो एकसाथ काम करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एस्ट्रोसैट ने AUDFS 01 आकाशगंगा से निकलने वाली पराबैंगनी किरण का पता लगाया है। इस वैश्विक टीम का नेतृत्व डॉक्टर कनक शाह ( Doctor Kanak Shah ) ने किया है। कनक शाह IUCAA में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। इस शोध को नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक एक मैग्जीन में प्रकाशित किया गया है। जिसमें कहा गया है कि जिस तीव्र पराबैंगनी किरण का पता लगाया गया है, वह धरती से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। यहां आपको बता दें कि एक साल में प्रकाश द्वारा जो दूरी तय की जाती है उसे प्रकाश वर्ष कहा जाता है। यह दूरी तकरीबन 98 खरब किलोमीटर के बराबर है। इस टीम में भारत (India), स्विट्जरलैंड ( Switzerland ), फ्रांस (France), अमरीका (America), जापान (Japan) और नीदरलैंड के वैज्ञानिक शामिल हैं।
डॉ कनक शाह (Doctor Kanak Shah) ने बताया कि टीम ने एस्ट्रोसैट के जरिए आकाशगंगा (Galaxies) का अवलोकन किया, जो एक्सट्रीम डीप फील्ड में स्थित है। ये अवलोकन अक्टूबर 2016 में 28 घंटे से अधिक समय तक चला। लेकिन, इसके बाद से डेटा का विश्लेषण कर यह पता लगाने में लगभग दो साल लग गए कि उत्सर्जन वास्तव में आकाशगंगा से है। वहीं, IUCAA के निदेशक डॉ सोमक राय चौधरी ने कहा कि यह इस बात का एक महत्वपूर्ण सुराग है कि ब्रह्मांड के अंधेरे युग कैसे समाप्त हुए और जबकि वहां प्रकाश था । उन्होंने कहा कि हमें यह जानना चाहिए कि आखिर यह कब शुरू हुआ, लेकिन प्रकाश के शुरुआती स्रोतों को खोजना बहुत कठिन है। इससे पहले, NASA का हबल स्पेस टेलीस्कोप (HST), जो कि एस्ट्रोसैट पर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT) से काफी बड़ा है, इस आकाशगंगा के लिए किसी भी यूवी उत्सर्जन का पता नहीं लगा पाया, क्योंकि यह बहुत ही धूमिल है। डॉ शाह ने कहा कि एस्ट्रोसैट-यूवीआईटी इस अनूठी उपलब्धि को हासिल करने में सक्षम था, क्योंकि यूवीटी डिटेक्टर में पृष्ठभूमि का शोर एचएसटी की तुलना में बहुत कम है।
Updated on:
25 Aug 2020 11:59 am
Published on:
25 Aug 2020 09:36 am
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