11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का विरोध कर चुके हैं ये केंद्रीय मंत्री, जानिए 10 बड़े बयान

बृहस्पतिवार को आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहले देश में समलैंगिकता से जुड़े मुद्दों पर मशहूर राजनेता और शख्सियतों ने कई ऐसे बयान दिए हैं, जिन्हें आज जानना दिलचस्प साबित होगा।

3 min read
Google source verification
rajnath Singh launched the country's first smart fencing project

rajnath Singh launched the country's first smart fencing project

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के मुताबिक अब आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध नहीं माने जाएंगे। हालांकि बृहस्पतिवार को आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहले देश में समलैंगिकता से जुड़े मुद्दों पर मशहूर राजनेता और शख्सियतों ने कई ऐसे बयान दिए हैं, जिन्हें आज जानना दिलचस्प साबित होगा। जानिए क्या क्या कह चुके हैं राजनेता और बुद्धिजीवी।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बयान में कहा था, "समलैंगिकता के संबंध में गलत तथ्य देकर धर्म का हवाला देना अनैतिक है। जो अप्राकृतिक है वो अप्राकृतिक है।"

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा था, "समलैंगिक अनुवांशिक रूप से अपंग होते हैं। आपको अस्पताल जाने की जरूरत है। गे होना मानसिक विकार है।"

गुलाम नबी आजाद ने इस पर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा था, "समलैंगिकता अप्राकृतिक है और एक बीमारी है।"

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसे अप्राकृतिक बताते हुए बोला था, "समलैंगिकता एक अप्राकृतिक कृत्य है और इसका कतई समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।"

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बयान दिया था, "गे संबंध को किसी भी कीमत पर कानूनी रूप से सही साबित नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह के अश्लील कृत्यों को हमारे देश में इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।"

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के मुताबिक, "समलैंगिक जोड़ों के लिए सरोगेसी हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ है।"

भारतीय जनता पार्टी के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने बोला था, "हमारी एक संस्कृति है, सभ्यता है और समलैंगिकता इसके खिलाफ जाती है। कोई भी इस तरह की इस नई सभ्यता की इजाजत नहीं दे सकता।"

इसके अलावा डॉ. दीपक सावंत ने इस पर कहा था, "एलजीबीटी समुदाय के लिए मनोवैज्ञानिक इलाज की जरूरत है।"

जबकि रमेश तावड़कर का कहना था, "हम सभी एलजीबीटी युवाओं को सामान्य बनाने के लिए इलाज मुहैया कराने वाले केंद्र स्थापित करेंगे।"

दत्तात्रेय होसैबल का सोचना था, "समलैंगिकता हमारे समाज में सामाजिक रूप से अनैतिक कृत्य है। इन्हें सजा देने की जरूरत नहीं बल्कि मनोविकार समझते हुए इलाज की जरूरत है।"

(उपरोक्त बयान विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए हैं। )


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग