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सुशील कुमार शिंदे ने कहा, कांग्रेस पार्टी की कार्यशैली में आया बदलाव

Published: Jul 02, 2021 08:39:39 am

शिंदे ने पार्टी में खुद को किनारे किए जाने पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि एक समय पार्टी में मेरे कहे शब्दों की कीमत थी, लेकिन अब मुझे पता नहीं है कि मेरी बात पार्टी में क्या मायने रखती है।

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नई दिल्ली। कांग्रेस में बढ़ती असहमति के बीच अब महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुशील कुमार शिंदे ने भी पार्टी की कार्यशैली पर प्रश्न उठाया है। उन्होंने कहा कि पार्टी की कार्यशैली में काफी बदलाव आ चुका है।
उल्लेखनीय है कि सुशील कुमार शिंदे को महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में एक माना जाता रहा है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। उनकी बेटी प्रणिति शिंदे भी विधायक है। हाल ही में प्रणिति को पश्चिमी महाराष्ट्र की राज्य इकाई का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।
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सुशील शिंदे ने पार्टी में खुद को किनारे किए जाने पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि एक समय पार्टी में मेरे कहे शब्दों की कीमत थी, लेकिन अब मुझे पता नहीं है कि मेरी बात पार्टी में क्या मायने रखती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में डिबेट करने तथा संवाद के लिए सेशन करने की परंपरा थी जो अब पूरी तरह खत्म हो चुकी है। आत्मचिंतन के लिए बैठकें होना जरूरी है मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस धीरे-धीरे अपनी विचारधारा और पारंपरिक संस्कृति को खोती जा रही है।
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वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि एक समय पर कांग्रेस में ‘शिविर’ कार्यशालाएं आयोजित की जाती थी, जिनमें इस बात पर चर्चा होती थी कि पार्टी कहां जा रही है और क्या करना चाहिए। परन्तु आज के वक्त में यह जानना मुश्किल हो गया है। अब चिंतन शिविर नहीं बुलाए जाते।
गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और वीरप्पा मोइली सहित कई अन्य नेता पहले भी कांग्रेस में पार्टी के क्रियाकलापों तथा कार्यशैली को लेकर प्रश्न पूछते रहे हैं। अन्य बहुत से नेता भी पार्टी में व्यापक फेरबदल की बात कहते रहे हैं परन्तु इन सभी को बगावती सुर मान कर नजरअंदाज किया गया। अब शिंदे के भी इस ग्रुप में शामिल होने से कांग्रेस की समस्या बढ़ रही है।
यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब पार्टी पंजाब में अमरिन्दर सिंह वर्सेज सिद्धू और राजस्थान में अशोक गहलोत वर्सेज सचिन पायलट जैसे मुद्दों पर जूझ रही है। राजनीतिक एक्सपर्ट्स के अनुसार यदि पार्टी ने जल्दी ही अंदरूनी झगड़ों को नहीं सुलझाया और कार्यशैली में फेरबदल नहीं किया तो पार्टी को आने वाले समय में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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