गत मई में संभाजीराजे छत्रपति ने महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को चेतावनी देते हुई मराठा आरक्षण लागू करने की मांग की थी। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में भी मराठा आरक्षण को लेकर पुनर्विचार याचिका भी उन्होंने लगाई थी।
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संभाजीराजे की मांगों में समुदाय के छात्रों को हास्टल सुविधा और छात्रवृत्ति जैसे लाभ दिया जाना भी शामिल है। वह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में पुणे आधारित सारथी को भी फिर से शुरू किया जाए, जिससे मराठों की शिक्षा और उनका कल्याण सुनिश्चित हो जाए।
इससे पहले, गत मई में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी राज्य के कानून को असंवैधानिक करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।