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ISRO के चंद्रयान-2 ने हासिल की 6 बड़ी उपलब्धियां, ऐसे रचा इतिहास!

मिशन चंद्रयान-2 को लेकर इसरो के हाथ लगी बड़ी उपलब्धियां भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने पहली बार लैंडर रोवर बनाया है पहली बार किसी प्राकृतिक उप ग्रह पर लैंडर रोवर भेजा गया

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Mohit sharma

Sep 18, 2019

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नई दिल्ली। एक और जहां चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से अभी तक कोई संपर्क न साधने की चर्चाएं जोरों पर हैं, वहीं भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का मिशन चंद्रयान-2 कई मायनों में न केवल बेहद सफल रहा है बल्कि इसको उसने कई बड़ी उपलब्धियां भी अपने नाम दर्ज करा ली।

मिशन चंद्रयान-2 को लेकर इसरो के हाथ ऐसी उपलब्धियां लगी हैं, जिसने नया इतिहास रच दिया है।

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1- भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने पहली बार लैंडर रोवर बनाया है। हालांकि पहले रूस ने इसरो को लैंडर रोवर उपलब्ध कराने की बात कही थी, लेकिन कुछ समय बाद उसने मना कर दिया।

इसके बाद इसरो वैज्ञानिकों ने फैसला लिया कि वह अपना अलग लैंडर रोवर बनाएंगे। इसको बनाने में करीब 11 साल का समय लगा।

यह सभ स्वदेशी तकनीक से बनाए गए हैं। लैंडर रोवर कोहिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स ने 2015 में ही बनाकर इसरो को सौंप दिया था।

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2- पहली बार किसी प्राकृतिक उप ग्रह पर लैंडर रोवर भेजा गया। इसरो ने चंद्रयान—2 से पहले किसी ग्रह पर लैंडर रोवर नहीं भेजा था। यह अपने आप में पहली बड़ी उपलब्धि है, जब इसरो ने ऐसा कर दिखाया हो।

3- इसरो दुनिया की पहली ऐसी स्पेस एजेंसी है, जिसने चांद के दक्षिणी धु्व पर अपना लैंडर रोवर पहुंचाया है। इससे पहले किसी देश ने ऐसा नहीं किया।

4- इसरो ने पहली बार किसी सेलेस्टीयन बॉडी यानी अंतरिक्ष की वस्तु पर अपना यान लैंड कराने की तकनीक विकसित की।

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5— पहली बार लैंडर रोवर और आर्बिटर एक साथ लॉंच किया गया। इसरो वैज्ञानिकों ने पहली बार इतने वजन का यान लॉंच किया। चंद्रयान-2 में तीन हिस्से थे। आर्बिटर, लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर।

इन तीनों ही हिस्सों को इतने सही ढंग से और सटीकता से जोड़ना था कि यह जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट में आसानी से फिट हो जाए।

6- इसके लिए विशेष प्रकार के कैमरे और सेंसर बनाए गए। स्पेस एप्लीकेशन अहमदाबाद के वैज्ञानिकों ने आर्बिटर लैंडर और रोवर के लिए विशेष प्रकार के कैमरे और सेंसर बनाए।

ये कैमरे चांद और अंतरिक्ष की स्पष्ट तस्वीरें लेने में सक्षम हैं। इसके साथ ही चांद की सतह पर तापमान, रेडियो एक्टिविटी आदि की जांच कर सकें।

चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से इसरो अभी तक कोई संपर्क नहीं साध पाया है। इसके साथ ही लैंडर विक्रम से संपर्क करने के प्रयास का समय भी पल-पल कम होता जा रहा है।

लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए इसरो के पास 14 दिन का समय था, जिसमें से 12 दिन गुजर चुके हैं और 2 दिन का समय ही शेष बचा है।