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SKMCH के सीनियर डॉ. भीमसेन निलंबित, मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से 129 की मौत

SKMCH के सीनियर रेजिडेंट डॉक्‍टर पर लापरवाही का आरोप SKMCH में इलाज के लिए 15 नए मरीज भर्ती चमकी बुखार से मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा

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Muzaffarpur

SKMCH के सीनियर डॉ. भीमसेन निलंबित, मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से 129 की मौत

नई दिल्‍ली। मुजफ्फरपुर के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ( SKMCH ) के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भीमसेन कुमार को ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में तत्‍काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। बिहार स्वास्थ्य विभाग ने पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ भीमसेन कुमार को 19 जून को SKMCH में तैनात किया था। उनकी तैनाती बाद भी अस्पताल में चमकी बुखार ( chamki bukhar ) बच्चों की मौतों का सिलसिला नहीं रुका।

मुजफ्फरपुर में 129 बच्‍चों की मौत
मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम ( AES ) से मरने वाले बच्‍चों की संख्या बढ़कर 129 हो गई है। इनमें मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच में 109 बच्चों की मौत और केजरीवाल अस्पताल में 20 बच्‍चों की मौतें शामिल हैं।

162 बच्चों की मौत
वहीं, बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम ( AES ) चमकी बुखार से अब तक 162 बच्चों की मौत हुई है। सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 129 बच्चों के मौत की पुष्टि हुई है।

करीब 650 से अधिक बच्‍चे इससे प्रभावित हुए हैं। SKMCH और केजरीवाल अस्पताल में इतने ही बच्‍चों का इलाज चल रहा है। मुजफ्फरपुर में अब तक 580 बच्चे बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं।

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2014 में हुई थी 350 की मौत
जानकारी के मुताबिक एसकेएमसीएच में ( AES ) से प्रभावित 15 नए बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। ( AES ) के तय प्रोटोकॉल के तहत इनका इलाज किया जा रहा है।

इस बीमारी से बिहार के 16 जिले प्रभावित हैं। 2014 में 350 से ज्यादा लोगों की बिहार में इस बीमारी से मौत हुई थी।

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AES का भयंकर गर्मी से है ताल्‍लुक
कई अभी तक वैज्ञानिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि ( AES ) की मुख्‍य वजह क्‍या है? विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में पिछले एक महीने से पड़ रही भयंकर गर्मी से इसका ताल्लुक है। कुछ स्टडीज में लीची को भी मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है।

हालांकि कई परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों ने पिछले कुछ दिनों में लीची नहीं खाई है। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं।'