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Coronavirus: ‘तीसरे चरण की रोकथाम को कोरिया से लेनी होगी सीख, अपनाना होगा GPS विकल्प’

भारत में लगातार बढ़ता जा रहा कोरोना वायरस का खतरा विशेषज्ञों की राय, कोरोना से निपटने को कोरिया का विकल्प बेहतर

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Coronavirus: 'तीसरे चरण की रोकथाम को कोरिया से लेनी होगी सीख, अपनाना होगा GPS विकल्प'

Coronavirus: 'तीसरे चरण की रोकथाम को कोरिया से लेनी होगी सीख, अपनाना होगा GPS विकल्प'

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं, लोगों में मन में बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत कोरोना वायरस ( Coronavirus ) की तीसरी स्टेज की ओर बढ़ रहा है।

अगर ऐसा होता है तो भारत में भी कोरोना ( Coronavirus outbreak ) का शायद इटली जैसा विकराल रूप देखने को मिले हैं।

ऐसे में ‘यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान’ ( ILBS ) के निदेशक डॉक्टर एस के सरीन ने कोरोना ( Coronavirus News ) की रोकथाम को लेकर भारत सरकार को सुझाव दिया है।

डॉ. सरीन ने कहा है कि भारत को कोरोना का फैलाव रोकने के लिये चीन ( China ) और दक्षिण कोरिया ( South Korea ) की तरह GPS तकनीक का इस्तेमाल करना होगा।

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डॉक्टर सरीन ने यह भी कहा क? कोरोना वायरस ?? के तीसरी स्टेज में जाने से रोकने के लिए सभी राज्य सरकारों में तुरंत तैयारियों को लागू कर देना चाहिए।

उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के संक्रमण की दर को ध्यान में रखते हुए हर राज्य को अपने यहां इसके फैलाव के हिसाब से रणनीति बनानी होगी।

डॉक्टर सरीन ने कहा कि उन्होंने खुद दिल्ली के लिए रणनीति तय कि है, जिसमें रोजाना 100, फिर 500 और फिर 1000 मरीजों से जुड़ी तीन स्थितियों वाला वर्किंग प्लान लागू किया है।

हालात की गंभीरता को समझते हुए अब अन्य राज्यों को भी अपनी रणनीति को लागू कर देना चाहिए।

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डॉक्टर सरीन ने साफ किया है कि कोरोना वायरस संक्रमण को तीसरे चरण में न आने देने के लिए हमें कुछ विशेष इंतजाम करने होंगे।

पहला, कोरोना संदिग्धों के संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति तक पहुंचने के लिये जीपीएस जैसी तकनीकी को अपनाना। दूसरा, इसको जन अभियान में तब्दील करना। इसके लिए लोगों को संक्रमण के लक्षण पाए जाने पर खुद को टेस्ट कराने के लिए प्रेरित करना।

तीसरा, कोरोना टेस्ट की क्षमता को हर स्थिति के लिए तैयार रखना। डॉ. सरीन ने बताया कि चीन में कोरोना मरीजों के संपर्क में आने वाले लगभग 26 हजार लोगों की पहचान हुई है, जिसमें जीपीएस की मदद से 2,58,00 तक पहुंच मुमकिन हुई है।

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