
बीपी मंडल जयंती: पिछड़ों के नायक ने बदल डाला था भारत का सामाजिक तानाबाना, अब उठ रही है भारत रत्न देने की मांग
नई दिल्ली। "वीपी सिंह हाय हाय, वीपी सिंह मंडल कमीशन वापस लो, वापस लो..." 90 के दशक में ऐसे नारे ने दिल्ली की गद्दी को हिला कर रख दिया था। दिल्ली के देशबंधु कॉलेज के एक छात्र राजीव गोस्वामी ने अपने गुस्से का इजहार करते हुए खुद को आग के हवाले कर दिया। कारण था तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह सरकार का मंडल आयोग लागू करने का ऐलान। इस ऐलान से पिछड़ी जाति के लोगों को सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलने वाला था। इस मंडल आयोग को बनाया था पिछड़ी के नायक कहे जाने वाले बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल। बीपी मंडल की आज 100वीं जयंती है। देश में उनकी जयंती मनाई जा रही है। सौवी जयंती के मौके पर बिहार सरकार उनके जन्म स्थान मुरहो में राजकीय समारोह मना रही है। इस बीच भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव ने बीपी मंडल को भारत रत्न देने की मांग कर इस राजनीति को और तेज करने की कोशिश कर दी है।
मंडल आयोग होने से बड़ा कद
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल अन्य पिछड़ा वर्गों का नायक कहा जाता है। उन्होंने भारत का सामाजिक तानाबाना बदल डाला था। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी पहली गैर-कांग्रेसी सरकार ने 20 दिसंबर 1978 को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अगुवाई में 6 सदस्यों के नए आयोग की घोषणा की थी जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है। आयोग ने पिछले वर्ग की पहचान के लिए जातियों को पैमाना बनाया। इसी आधार पर आरक्षण की सिफारिश की। बीपी मंडल ने देश भर में पिछड़ों के सामाजिक और शैक्षणिक हालात का जायजा लेने के लिए घूम-घूम कर मंडल आयोग की रिपोर्ट तैयार किया था। मंडल आयोग ने सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक कसौटियों पर तमाम जातियों को परखा और बताया कि देश में कुल 3743 पिछड़ी जातियां हैं। बताया जाता है कि पिछड़ी जातियां भारतीय जनसंख्या का आधा से अधिक हिस्से थी। उन्होंने सिफारिश की थी कि जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए भूमि सुधार कानून लागू किया जाए क्योंकि पिछड़े वर्गों का सबसे बड़ा दुश्मन जमींदारी प्रथा थी। 1980 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी तब मोरारजी देसाई की सरकार गिर चुकी थी। दस साल बाद मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून बनाया। मंडल आयोग की सिफारिशों को जिस समय लागू किया गया था उस वक्त देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे। धीरे-धीरे आंदोलन शांत हुआ। रिपोर्ट की सिफारिशों के लागू होने के बाद बी पी मंडल इतिहास में अमर हो गए। मंडल रिपोर्ट के लागू होने के बाद तंत्र में अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की भागीदारी बढ़ी है, जिससे लोकतंत्र समृद्ध हो रहा है। OBC को लेकर खूब राजनीति अभी भी होती है। यही वजह है कि संसद को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को सांविधानिक दर्जा देने की जरूरत पड़ी है।
Published on:
25 Aug 2018 12:17 pm
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