स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि एक पहले, जिसे सुलझना अभी बाकी है। पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन के सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएएसी पार करके कभी भारतीय क्षेत्र में नहीं आए। अब विदेश मंत्रालय ही यह कह रहा है कि सरकार को राजनयिक सैन्य कामयाबी मिली है। चीन के सैनिक भारतीय क्षेत्र से पीछे हटने लगे हैं। क्या दोनों बातें सही हो सकती हैं?
यह पहली बार नहीं है जब सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी पार्टी की सरकार को घेरा है या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। वह पहले भी अक्सर ऐसा करते रहे हैं। खासकर जब से चीन का मुद्दा उछला है, वह लगातार इस बारे में सरकार से सवाल पूछते रहे हैं। स्वामी ने इससे पहले चीन से भारत सरकार के समझौते की आलोचना की थी। उन्होंने रक्षा विशेषज्ञ ब्रहमा चेलानी का एक ट्वीट भी रीट्वीट किया था, जिसमें चेलानी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर सवाल खड़े किए हैं।
चेलानी के इस ट्वीट में कहा गया है कि भारत कैलाश रेंज से पीछे हट रहा है। पैंगोंग त्सो लेक के उत्तरी क्षेत्र को बफर जोन बना दिया गया है। इस क्षेत्र में पहले भारतीय सैनिक गश्त किया करते थे। वहीं, दूसरी ओर भारत सरकार संसद में कह रही है कि भारत ने कुछ भी नहीं खोया है।
इससे पहले, गत 13 फरवरी को सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा था कि वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि कोई आया नहीं, कोई गया नहीं। यह बात चीन को काफी पसंद आई। लेकिन वास्तव में सच यह नहीं था। बाद में भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पार होने के लिए अपने सेनिकों को कहा और पैंगोग क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लिया। अब हम उस क्षेत्र से पीछे हट रहे हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में सवाल किया कि डेपसांग से चीन के सैनिक पीछे क्यों नहीं हट रहे। उन्होंने भारत सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि चीन के लिए तो यह अच्छा सौदा रहा।