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मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, ‘भीड़तंत्र’ बर्दाश्त नहीं, संसद से बनाया जाए नया कानून

इससे पहले चीजेआई दीपक मिश्रा कह चुके हैं कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होनी चाहिए।

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नई दिल्ली। देश के अंदर मॉब लिंचिंग और गोरक्षा के नाम पर हो रही हत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं पर सख्ती दिखाते हुए संसद से नए कानून को बनाए जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लोकतंत्र में भीड़तंत्र की कोई जगह नहीं है। कोर्ट ने अपने को लागू करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट अपने इस फैसले की समीक्षा 20 अगस्त को करेगा। इससे पहले 3 जुलाई को सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अलग कानून बनाए जाने को कहा

देश के अंदर आक्रोशित भीड़ के द्वारा हो रही घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश केंद्र और राज्य सरकारों को जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों की भी जिम्मेदारी होती है कि वो संविधान को सुरक्षित रखने में सहयोग करे। कोर्ट ने कहा है कि नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाए, हाईवे पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ऐसी घटनाओं की रोकथाम से लेकर कानूनी कार्रवाई और पीड़ितों को मुआवजा देने तक की बातें शामिल हैं। अपने फैसले को लेकर अब कोर्ट 20 अगस्त को समीक्षा करेगा।

मॉब लिंचिंग रोकना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है- दीपक मिश्रा

आपको बता दें कि इससे पहले आखिरी सुनवाई पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने कहा था कि मॉब लिंचिंग जैसी हिंसा की वारदातें नहीं होनी चाहिए फिर चाहे उससे संबंधित देश के अंदर कानून हो या नहीं। दीपक मिश्रा ने कहा था कि किसी भी संगठन को कानून अपने हाथ में लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ये कह दिया था कि ये राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वो इस तरह की वारदातों को होने से रोकें।

असामाजिक तत्वों का बढ़ा हुआ है मनोबल- इंदिरा जयसिंह

वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में कहा था कि मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवज़े के लिए उनके धर्म, जाति को ध्यान मे रखा जाए, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा ये उचित नहीं हैं, पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता है, उसे अलग-अलग खांचे में नहीं बांटा जा सकता। इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि अब तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ गया है। वे गाय से आगे बढ़कर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर खुद ही कानून हाथ में लेकर लोगों को मार रहे हैं। देश के अंदर ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं।


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