
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले ( Pegasus Spyware Case ) की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में सुनवाई होगी। तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना करेंगे।
दरअसल इस मामले में 5 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सही हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। वहीं इस केस को लेकर पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से अर्जियां दायर कर SIT जांच की मांग की गई है।
पेगासस जासूसी मामले ( Pegasus Spyware Case ) से जुड़ी 9 याचिकाओं को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच में जस्टिस रमन्ना के अलावा जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस सूर्य कांत भी शामिल हैं।
इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमे मांग की गई है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
आरोप है कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिए लोगों के फोन टेप किए गए हैं और उन्हें सर्विलांस पर रखा गया है।
ये है याचिकाकर्ताओं की मांग
पेगासस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर या मौजूदा जज की अध्यक्षता में गठित SIT से करवाई जाए।
साथ ही केंद्र को ये बताने के लिए कहा जाए कि क्या सरकार या फिर उसकी किसी एजेंसी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है? अगस इस्तेमाल किया है तो क्या इसका लाइसेंस लिया गया है। फोन को हैक करना, बोलेने की आजादी के अधिकार से समझौता करना है।
पिछली सुनवाई में सीजेआई का रुख
CJI एनवी रमना ने पिछली सुनवाई में कहा था कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सही हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। साथ ही सभी पिटीशनर्स से कहा कि वे अपनी-अपनी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को मुहैया करवाएं, ताकि कोई नोटिस लेने के लिए मौजूद रहे।
सीजेआई ने कहा था, 'जासूसी की रिपोर्ट 2019 में सामने आई थी। मुझे नहीं पता कि और अधिक जानकारी जुटाने के लिए क्या प्रयास किए गए। अभी मामला क्यों उठा है। पिटीशनर्स कानून के जानकार लोग हैं। मगर अपने पक्ष में संबंधित सामग्री जुटाने में इतनी मेहनत नहीं की है कि हम जांच का आदेश दे सकें। जो खुद को प्रभावित बता रहे हैं, उन्होंने एफआईआर ही नहीं कराई।'
ये है पूरा मामला
खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप ने दावा किया है कि इजराइली कंपनी एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए 10 देश में 50 हजार लोगों की जासूसी की गई है।
भारत में भी अब तक इस मामले में 300 नाम सामने आ चुके हैं। जिन लोगों के फोनों की निगरानी की गई है उनमें सरकार में शामिल मंत्री से लेकर विपक्ष के नेता, वकील, डॉक्टर, वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, जज और कारोबारी शामिल हैं।
Published on:
10 Aug 2021 08:02 am
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