
Supreme Court Judgement
नई दिल्ली। केरल में हिंदू युवती द्वारा इस्लाम अपनाने के बाद **** युवक से शादी करने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले का संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से 10 दिन के अंदर क्लीयर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। दरअसल, केरल हाई कोर्ट ने इसे लव जिहाद से जुड़ा मामला बताते हुए शादी रद्द करने का आदेश दिया था। उधर, महिला के पति ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। महिला के पति का कहना है कि पूरी तरह से बालिग एक 24 वर्षीय युवती को यह पूरा अधिकार है कि वह किस व्यक्ति से शादी करे और किस धर्म को माने।
सुप्रीम कोर्ट में रखे ये तथ्य
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता कपिल सिब्बल और जयसिंह ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद पति को पत्नी से मुलाकात करने तक पर रोक लगा दी है। दोनों ही अधिवक्ता चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच से यह गुहार लगा रहे हैं कि लड़की को समन भेजकर उसके बयान दर्ज कराए जाएं और उसकी मर्जी पूछी जाए। इसके साथ ही अपील करने वाले अधिवक्ताओं ने लड़की की जान को खतरा भी बताया है। अधिवक्ता जयसिंह ने कोर्ट के सामने सवाल उठाया कि क्या युवती जिंदा है? आखिर क्यों पुलिस ने उसके घर पर पहरा लगा दिया है और किसी को उससे मिलने नहीं दे रही है? उन्होंने कोर्ट से युवती को 24 घंटे के भीतर को पेश करने के आदेश देने की मांग की। वही युवती के पिता केएम अशोकन की अधिवक्ता माधवी दीवान ने कहा कि यह युवती अपने माता-पिता की एकलौती संतान है और उसे साजिश के तहत दिमागी रूप से शादी के लिए तैयार किया गया। उन्होंने कहा कि अगर सबूत पेश किए जाने के बाद कोर्ट चाहेगी तो युवती को पेश कर दिया जाएगा।
10 दिन के भीतर पेश करें रिपोर्ट
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद बेंच ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह को एनआईए की ओर से पेश होने का आदेश देते हुए कहा कि एजेंसी और अशोकन 10 दिन के भीतर इस मामले में सबूत पेश करें। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीक मुकरर्र की है। हालांकि सिब्बल और जयसिंह ने कोर्ट से युवती को तुरंत पेश किए जाने की गुहार लगाई थी। बेंच ने कहा यह इतना आसान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आखिर युवती ने हाईकोर्ट में अपने दाखिल अपेन शपथपत्र में तीन अलग-अलग नाम आसिया, आदिया और हादिया नाम क्यों दिए? एक 24 साल की युतवी से ऐसी उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। अगर हमें जरूरत होगी तो युवती को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया जाएगा।
Updated on:
05 Aug 2017 10:29 am
Published on:
05 Aug 2017 09:59 am
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