
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और ओबीसी आयोग से इस बारे में अपना पक्ष रखने को कहा है।
नई दिल्ली। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पिछड़े वर्ग में शामिल लोगों की सही संख्या जानने के लिए दायर जाति आधारित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य को नोटिस जारी किया। सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने जाति आधारित जनगणना को लेकर जवाब देने को भी कहा है।
इससे पहले भी अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने देश में 2021 की होने वाली जनगणना में अन्य पिछड़ा वर्ग की जाति आधारित गणना को शामिल करने के संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को नोटिस जारी किया था। सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया था।
जाति आधारित जनगणना को लेकर दायर याचिका में कहा गया है कि ओबीसी की अंतिम जनगणना वर्ष 1931 में हुई थी। इसके बाद आज तक ओबीसी की सटीक संख्या को सूचीबद्ध करने वाली कोई जनगणना नहीं की हुई। यह सामाजिक न्याय और संविधान के अनुच्छेद 15, 16 243डी और अनुच्छेद 243 टी के संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता टिंकू सैनी ने याचिका में संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट का हवाला भी दिया है। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक लोगों के समूहों को अलग-अलग श्रेणियों में शामिल करने के लिए कोई स्वीकृत तंत्र नहीं है।
वर्तमान पिछड़ी जाति समुदायों की मौजूदा सूची गलत है। याचिका में कहा है कि ओबीसी का उपलब्ध जातिवार डाटा पुराना और कालग्रस्त है। यह सामाजिक न्याय प्राप्त करने और संवैधानिक अनिवार्यता की पूर्ति नहीं करता। इसलिए 2021 की जनगणना में ओबीसी की जातिगत गणना होनी चाहिए।
Updated on:
26 Feb 2021 12:20 pm
Published on:
26 Feb 2021 12:14 pm
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