scriptSupreme Court  ने केंद्र को जारी किया नोटिस, सोशल मीडिया को कानून के दायरे में लाने पर मांगा जवाब | Supreme Court issues notice to Center, seeks response on bringing social media under the ambit of law | Patrika News

Supreme Court  ने केंद्र को जारी किया नोटिस, सोशल मीडिया को कानून के दायरे में लाने पर मांगा जवाब

locationनई दिल्लीPublished: Feb 01, 2021 12:46:12 pm

Submitted by:

Dhirendra

अधिवक्ता विनीत सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई।
सोशल मीडिया को कानून के दायरे में लाने की मांग।
हेट स्पीच के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को जिम्मेदार ठहराने की गुजारिश।

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याची ने सोशल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की।

नई दिल्ली। देश में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने और हेट स्पीच के लिए जिम्मेदार ठहराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने इससे संबंधित अन्य याचिकाओं को भी इससे जोउ़ दिया है।
https://twitter.com/ANI/status/1356124178236096514?ref_src=twsrc%5Etfw
हेट स्पीच के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिम्मेदार

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जरिए अदालत से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए कानून बनाने और फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को सीधे तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण और फर्जी खबरें फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराने की मांग की है। साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से नफरत फैलाने वाली और फेक न्यूज के प्रसार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए अलग से कानून बनाने के लिए जरूरी निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की असीमित सीमा पर उठाए सवाल

याची ने इस मामले में केंद्र सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, दूरसंचार मंत्रालय, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंस्टाग्राम और फेसबुक इंडिया आदि को प्रतिवादी बनाया गया है। एडवोकेट विनीत जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है। ताकि प्रतिवादियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने का निर्देश दिया जा सके। अधिवक्ता विनीत जिंद ने याचिका में कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक जटिल अधिकार है। इसके साथ विशेष कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का पालन करना भी शामिल होता है। इसलिए यह अधिकार कानून द्वारा प्रदान किए गए कुछ प्रतिबंधों के अधीन होता है।

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