
Supreme Court of india
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( coronavirus ) के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ( central Gotvt ) ने 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन ( Lockdown ) की घोषणा कर दी थी। इसके चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी मजदूर फंस गए। अब उनकी समस्या और दयनीय स्थिति पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान (Suo moto cognizance) लिया है। शीर्ष अदालत में तीन जजों की बेंच ने राज्य, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र को नोटिस भेजकर इस विषय में जवाब मांगा है।
SC में 28 मई तक जवाब दाखिल करने का नोटिस
जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह ने सभी सरकारों से पूछा है कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने के लिए क्या कदम उठाए हैं? कोर्ट ने इस जवाब को दाखिल करने के लिए 28 मई तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 28 मई को होगी। कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से भी इस मामले में मदद करने का निर्देश दिया है।
केंद्र और राज्य सरकारों से हुई चूक: सुप्रीम कोर्ट
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लापरवाहियां और चूक हुई हैं। उनकी हालत सुधारने के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए। प्रवासी मजदूरों को यात्रा, आश्रय और खाने-पीने की चीजों की मदद तुरंत पहुंचाई जानी चाहिए।
लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की हालत खराब
आपको बता दें कि है कि कोरोना लॉकडाउन में मजदूरों की स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी गई है। महानगरों में फंसे कई प्रवासी कामगार हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पैदल ही तय करने पर मजबूर हो गए है। इस दौरान कई मजदूरों की भूख और बीमारी से मौत हो गई। तो वहीं, कई बस और ट्रेन हादसों का शिकार भी हुए है। इन सब के बाद सरकर ने प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई। हालांकि, उसके बाद भी अभी तक हालात में ज्यादा सुधार नहीं है।
Updated on:
26 May 2020 08:54 pm
Published on:
26 May 2020 08:19 pm
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