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सुप्रीम कोर्ट का इलेक्टोरल बांड स्कीम पर तत्काल रोक से इनकार

योजना का संचालन अवैध रूप से किया गया दिल्ली चुनाव में हो सकता है इसका गलत इस्तेमाल करोड़ों रुपए अवैध रूप से हस्तांत्रण का संदेह

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलेक्टोरल बांड स्कीम पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग से दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका दाखिल करने वाली एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने 8 फरवरी को दिल्ली चुनाव की पृष्ठभूमि में इस योजना पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस योजना का संचालन अवैध रूप से किया गया है और दिल्ली चुनाव से पहले करोड़ों रुपए की अवैध धनराशि इस योजना के माध्यम से हस्तांतरित की जाएगी।

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जनवरी में सुनवाई के लिए व्यक्त की थी सहमति

इससे पहले शीर्ष अदालत ने दो जनवरी, 2018 को केंद्र की ओर से अधिसूचित चुनावी बांड योजना पर रोक लगाने के लिए दायर की गई याचिका पर जनवरी 2020 में सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश हुए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी। उन्होंने कहा कि यह आवेदन इलेक्टोरल बांड योजना पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य प्राधिकरणों की आपत्तियों ऑन रिकॉर्ड पेश करता है, जिसे सरकार ने नजरअंदाज कर दिया था और हाल ही में एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से खुलासा किया गया है।

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एकत्र किए गए थे साइ करोड़ रुपए

भूषण ने जोर देकर कहा कि इस योजना के तहत लगभग 6,000 करोड़ रुपए एकत्र किए गए थे, जिसे आरबीआई और चुनाव आयोग ने लाल झंडी दिखाई थी।