याचिकाओं पर केंद्र ने जताई थी आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट में 14 दिसंबर 2018 को रफाल डील पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया था जिसमें कोर्ट ने लड़ाकू विमान की खरीदारी तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था। जिसके बाद यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने डील के दस्तावेजों के आधार पर इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं। इसमें गोपनीय दस्तावेजों की कॉपी लगाई गई थीं। इस पर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने केंद्र की ओर से आपत्ति दर्ज कराई थी। कोर्ट द्वारा सॉवरिन गारंटी के सवाल पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि देशहित के लिए पहले भी अमरीका और रूस के साथ कई समझौते हुए हैं।
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अटॉर्नी जनरल ने उठाए सवाल
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शीर्ष कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता के पास ये दस्तावेज कहां से प्राप्त हुए हैं, यह जानना जरूरी है। इनसे पूछना चाहिए कि ये कागज उन्हें कहां से मिले। ये चोरी के दस्तावेजों के हिस्सों को रख रहे हैं और इनकी नीयत कोर्ट को गुमराह करने की है ।
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याचिकाकर्ताओं का दावा
गौरतलब है कि रफाल डील मामले में केंद्र सरकार ने रिव्यू पीटिशन पर जवाब दाखिल किया था। जवाब में पुनर्विचार याचिका दायर करनेवालों ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा सौंपा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि केंद्र सरकार ने जिस कैग (CAG) रिपोर्ट का हवाला दिया है, उसमें भी कई खामियां थीं। पीटिशनरों ने दावा किया कि CBI ने इस पर कई शिकायत दर्ज कराने के बावजूद मामले की जांच नहीं की। इस CAG रिपोर्ट में ‘बैंक गारंटी वेब ऑफ’ से संबंधित कोई जिक्र नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने हलफनामे में कहा कि सरकार ने डील से जुड़ी जानकारियां छुपाईं।