मालम हो कि इस सिलसिले में पहले केंद्र सरकार को फैसला लेना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी इसी की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने कहा कि ये एक गंभीर मामला है। अगर वो इसके लिए अनुमति देते हैं को भगवान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे। मालूम हो कि रथ यात्रा 23 जून से शुरू होनी थी। यह उत्सव अगले 20 दिनों तक जारी रहता।
रथयात्रा पर रोक लगाने की मांग ओडिशा विकास परिषद नामक एनजीओ की ओर से दायर किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस रथयात्रा में दस लाख लोग इकट्ठा होते हैं। उत्सव में जुटने वाली भीड़ से कोरोना संक्रमण फैलने का ख़तरा बहुत ज़्यादा है। अगर दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती? इसी याचिका पर सुनवाई में कोर्ट ने कहा, ‘महामारी के समय ऐसी सभाएं नहीं हो सकती हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस साल रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हालांकि इस मामले में मंदिर प्रशासन पहले बिना भक्तों के रक्ष यात्रा निकालने पर विचार कर रहे थे। धारा-144 के तहत मंदिर समिति ने रथ खींचने के लिए कई विकल्पों को पेश किया। इसमें पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हाथियों से रथ को गुंडिचा मंदिर तक ले जाने की बात कही जा रही थी।