न्यायमूर्ति खानविलकर ने गत सात दिसंबर को मामले का अंतिम निपटारा न होने के बावजूद निर्माण कार्य आगे बढ़ाने को लेकर गहरी नाराजगी जताई थी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था, ***** कोई रोक नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर चीज के साथ आगे बढ़ सकते हैं।” पीठ की नाराजगी झेलते हुए सॉलिसिटर जनरल ने सरकार से निर्देश हासिल करने के लिए एक दिन का समय मांगा था, लेकिन न्यायालय ने उसी दिन सरकार से बातचीत करके वापस आने के लिए कहा था और थोड़ी देर के लिए सुनवाई रोक दी गई थी।
थोड़ी देर के बाद, श्री मेहता वापस आ गए थे और उन्होंने क्षमायाचना करते हुए न्यायालय को आश्वस्त किया था कि कोई निर्माण, तोडफ़ोड़ या पेड़ों की कटाई नहीं होगी। नींव का पत्थर रखा जाएगा, लेकिन कोई और परिवर्तन नहीं होगा। न्यायमूर्ति खानविलकर ने श्री मेहता का बयान रिकॉर्ड पर लेते हुए आदेश दिया था कि 10 दिसंबर को होने वाला शिलान्यास कार्यक्रम जारी रहेगा, लेकिन कोई निर्माण कार्य नहीं होगा।