29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आत्मनिर्भर भारत: आपदा के दौरान स्वेदशी ईआरएस तुरंत करेगा बिजली आपूर्ति

Highlights. सीएसआइआर-एसईआरसी की खोज से बचेगी आपदाग्रस्त लोगों की जान ट्रांसमिशन लाइन टॉवरों के गिरने के तुरंत बाद आपातकालीन रिट्रीवल सिस्टम (ईआरएस) से बिजली बहाल की जा सकेगी चक्रवात, भूकंप या मानव निर्मित व्यवधानों के दौरान मुश्किल में फंसे लोगों को तत्काल राहत पहुंचाई जा सकेगी

less than 1 minute read
Google source verification

image

Ashutosh Pathak

Nov 19, 2020

ers.jpg

नई दिल्ली।

देश में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ट्रांसमिशन लाइन टॉवरों के गिरने के तुरंत बाद आपातकालीन रिट्रीवल सिस्टम (ईआरएस) से बिजली बहाल की जा सकेगी। इससे चक्रवात, भूकंप या मानव निर्मित व्यवधानों के दौरान मुश्किल में फंसे लोगों को तत्काल राहत पहुचाई जा सकेगी।

आत्मनिर्भर भारत के तहत चेन्नई स्थित सीएसआइआर-एसईआरसी के वैज्ञानिकों की बड़ी खोज है। अभी तक इस सिस्टम को विदेशों से महंगे दामों पर खरीदा जाता था। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की चेन्नई स्थित घटक प्रयोगशाला स्ट्र चरल इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर (एसईआरसी) की इस तकनीक से 40 फीसदी तक लागत कम हो सकेगी। एसईआरसी ने अहमदाबाद की अद्वैत इंफ्राटेक से व्यापारिक उत्पादन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर भी कर लिए है।

देश में पहली बार निर्मित अभी ईआरएस सिस्टम बड़ी लागत में आयात होते हैं। तकनीकी विकास पहली बार भारत में विनिर्माण को सक्षम करेगा, आयात का विकल्प उपल ध कराएगा और उत्पादन लागत भी घटेगी। इसकी सार्क और अफ्रीकी देशों में भी बड़ी मांग है।

क्या है ईआरएस

ईआरएस एक हल्का मॉड्यूलर सिस्टम है जिसका इस्तेमाल आपदाओं के बाद गिरे बिजली के टॉवरों की जगह 2-3 दिनों तक अस्थाई रूप से विद्युत बहाली के लिए किया जाता है। स्वदेशी ईआरएस सिस्टम आपदा में आम लोगों को भी बचाएगा।

ईआरएस की विशेषताएं