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असम में पहली ट्रांसजेंडर स्वाति बरुआ बनीं जज, बोलीं- ‘हमें अलग नजरों से न देखें’

स्वाति बरुआ ने कहा कि न्यायाधीश के पद पर मेरी नियुक्ति समाज के लिए एक बहुत ही सकारात्मक संदेश है और इससे ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में मदद मिलेगी।

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असम में पहली ट्रांसजेंडर स्वाति बरुआ बनीं जज, बोलीं- ‘हमें अलग नजरों से न देखें’

गुवाहाटी: असम की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश स्वाति विधान बरुआ ने शनिवार को लोक अदालत में अपना काम शुरू की। इस दौरान उन्होंने 25 मामले सुलझाए। स्वाति बरुआ ने कहा कि समाज को हमें अलग नजरों से नहीं देखना चाहिए। क्योंकि हम भी आपकी तरह एक इंसान हैं। हम भी सामान्य लोगों की तरह ही हैं। हमें जिस तरह परिवार और समाज में अलग नजरों से देखा जाता है, उससे हमें दुख होता है। नियुक्त होने के बाद बरुआ ने कहा कि पहले लोक अदालत में एक न्यायाधीश के पद पर मेरी नियुक्ति समाज के लिए एक बहुत ही सकारात्मक संदेश है और इससे ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में मदद मिलेगी। कानून भी उनके साथ भेदभाव कर जाता है। क्योंकि, ऐसे अनेक न्यायाधीश हैं, जिन्हें ट्रांसजेंडर अधिनियम की जानकारी तक नहीं है। स्वाति ने कहा कि राज्य में बहरहाल 20, 222 के करीब ट्रांसजेंडर है। हालांकि वर्ष 2011 की जनगणना तक इनकी संख्या 11599 थी। गौरतलब है कि स्वाति शनिवार को गुवाहाटी में लगी ‘राष्ट्रीय लोक अदालत’ की एक बेंच में बतौर न्यायाधीश केस सुलाझा रहे थे।

आज कई क्षेत्रों में ट्रांसजेंडरों की मौजूदगी

जज बनने के बाद स्वाति ने कहा कि जिस सरकार की जिम्मेदारी लोगों को अधिकार दिलाने की है, उसी सरकार में ट्रांसजेंडरों के अधिकारों का हनन किया जाता है। असम में एनआरसी की चर्चा करते हुए स्वाति ने कहा कि यहां ट्रांसजेंडरों को कई अलग अलग प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ी है। हालांकि उन्होंने कहा कि अब धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं। कई प्रमुख स्थानों पर ट्रांसजेंडरों को स्थान मिलने लगा है। राजनीति के क्षेत्र में भी ट्रांसजेंडरों को जगह मिल रही है। स्वाति ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ट्रांसजेंडर को न्यायाधीश बनाया गया। इसके बाद महाराष्ट्र में भी ट्रांसजेंडर को न्यायाधीश बनाया गया। विधायक के रूप में भी ट्रांसजेंडर अब चुने जाने लगे हैं। पूर्वोत्तर का यह राज्य देश का तीसरा राज्य बना जहां ट्रांसजेंडर न्यायाधीश हैं। इससे पहले महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में ट्रांसजेंडर न्यायाधीश हैं।