
तांडव वेब सीरीज
नई दिल्ली। तांडव वेब सीरीज ( Tandav Web Series ) पर विवाद के बीच देश के शीर्ष अदालत ( Supreme Court ) ने बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने तांडव विवाद मामले में अमेजन प्राइम की इंडिया प्रमुख अपर्णा पुरोहित की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा। यूपी सरकार को वेब सीरीज तांडव के लिए लखनऊ में दर्ज एफआईआर की जांच में अपर्णा से सहयोग करने के लिए कहा।
शुक्रवार को अमेजन प्राइम वीडियो की कमर्शियल हेड अपर्णा पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने अपर्णा की अग्रिम ज़मानत की याचिका पर फ़ैसला देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
तांडव वेब सीरीज को लेकर दर्ज़ मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत ना देने के फैसले को अपर्णा पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया।
तब तक रहेगी गिरफ्तारी पर रोक
जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने कहा कि याची जब तक पुलिस जांच में सहयोग करेगी और पुलिस के बुलाने पर हाजिर होगी, तब तक गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।
दरअसल ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म की सामग्री पर नियंत्रण के लिए बने नियमों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘इनमें जुर्माना लगाने या मुकदमा चलाने जैसे प्रावधान नहीं है। बिना उचित कानून पास किए इन पर नियंत्रण नहीं हो सकता।’
वहीं सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि सरकार दो हफ्ते में ड्राफ्ट कानून कोर्ट में पेश करेगी।
संतुलन बनाने की जरूरत पर जोर
आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी इस मामले पर सुनवाई की थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री प्रसारित की जा रही हैं। इसकी स्क्रीनिंग होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें संतुलन बनाने की जरूरत है।
ये है मामला
वेब सीरीज तांडव में हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने और प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद की गरिमा से खिलवाड़ करने के अलावा राज्य की पुलिस के गलत चित्रण और जातीय आधार पर समाज को बांटने का भी आरोप लगाया गया है।
इन आरोपों के बाद उत्तर प्रदेश के तीन शहरों लखनऊ, नोएडा और शाहजहांपुर में एफआईआर दर्ज हुई थी।
अपर्णा पुरोहित ने लखनऊ में दर्ज एफआईआर में इलाहाबाद हाई कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत मांगी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका ठुकरा दी थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
Updated on:
05 Mar 2021 03:14 pm
Published on:
05 Mar 2021 03:09 pm
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