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तहलका मैगजीन के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल की बढ़ सकती है मुश्किल, गोवा सरकार ने उठाया ये कदम

Tehelka Magazine के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल को मिला संदेह का लाभ, जानिए निचली अदालत ने फैसले में क्या दिया तर्क

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Dheeraj Sharma

May 26, 2021

Tehelka Magazine former editor Tarun Tejpal again get in to trouble Goa Govt appealed in Bombay High court

Tehelka Magazine former editor Tarun Tejpal again get in to trouble Goa Govt appealed in Bombay High court

नई दिल्ली। तहलका ( Tehelka ) मैगजीन के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल ( Tarun Tejpal ) की मुश्किल एक बार फिर बढ़ सकती है। दरअसल तरुण तेजपाल को गोवा के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2013 में अपनी सहकर्मी के रेप, यौन उत्पीड़न और जबरन बंधक बनाने के सभी आरोपों से बरी कर दिया है। सेशन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब गोवा सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की है।

ऐसे में माना जा रहा है कि सेशल कोर्ट से बरी होने के बाद एक बार फिर तरुण तेजपाल की मुश्किल बढ़ सकती है।

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डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने दिया ये फैसला
तरुण तेजपाल को गोवा के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2013 में अपनी सहकर्मी के रेप, यौन उत्पीड़न और जबरन बंधक बनाने के सभी आरोपों से बरी कर दिया। डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरी सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता महिला ने किसी भी तरह का ऐसा व्यवहार नहीं किया, जिससे लगे कि वो यौन उत्पीड़न की पीड़ित हैं। इसे सिर्फ दिखावा कहा जा सकता है।

कोर्ट ने तरुण तेजपाल को 21 मई को बरी किया था। मंगलवार को कोर्ट के फैसले की कॉपी आई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 527 पेज के फैसले में एडिशनल सेशन जज क्षमा जोशी ने लिखा, 'रिकॉर्ड और सबूतों पर विचार करने के बाद, आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाता है।

क्योंकि शिकायतकर्ता महिला की ओर से लगाए गए आरोपों को साबित करने वाला ऐसा कोई सबूत नहीं है।

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इस वजह से कमजोर हुआ मामला
जज ने इसके साथ ही लिखा, 'ट्रायल के लिए महिला का 'व्यवहार' एक महत्वपूर्ण कारक था, जिसने मामले को कमजोर कर दिया।

कोर्ट ने तरुण तेजपाल को संदेह के लाभ के आधार पर बरी करते हुए कहा था कि जांच के दौरान गोवा पुलिस ने सबूतों को नष्ट किया और सही साक्ष्यों को पेश नहीं किया।

निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ अब गोवा सरकार ने पीड़ित महिला को इंसाफ दिलाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की है।


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