
प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करना जरूरी।
नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए स्थानीय आरटीओ की नौकरशाही और एजेंटों के जंजाल से जल्द निजात मिलने वाली है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से तैयार नियमों के मुताबिक अब पूरे देश में मान्यता प्राप्त चालक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित होंगे। इन सेंटरों से ड्राइविंग की ट्रेनिंग लेने वालों को लाइसेंस बनवाने के लिए टेस्ट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
4 सप्ताह में 29 घंटे का प्रशिक्षण
ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के लिए उम्मीदवार को 4 सप्ताह में 29 घंटे का प्रशिक्षण लेना होगा। इसमें सिम्युलेटर प्रशिक्षण के साथ ही 21 घंटे का व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है। इसी तरह मध्यम और भारी वाहनों के लिए प्रशिक्षण 38 सप्ताह में 29 घंटों का होगा।
कौन खोल सकता है ऐसे ट्रेनिंग सेंटर
कोई भी व्यक्ति इन प्रशिक्षण केंद्रों को स्थापित कर सकता है। बशर्ते वे केंद्र द्वारा निर्धारित मान्यता मानदंडों को पूरा करें। इसके लिए 50,000 रुपए का मान्यता शुल्क निर्धारित किया है। केंद्रों के पास मैदानी इलाकों में कम से कम 2 एकड़ या पहाड़ी जिलों में 1 एकड़ का बुनियादी ढांचा व सिमुलेटर जैसी व्यवस्थाएं होनी चाहिए। राज्य परिवहन प्राधिकरण या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अधिकृत एजेंसी के नामित अधिकारीए केंद्रों को मान्यता देंगे। केंद्र को पांच साल के लिए लाइसेंस दिया जाएगा।
क्या है लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया
वर्तमान में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ ऑफिस में ऑनलाइन टेस्ट और ड्राइविंग टेस्ट देना होता है। इसे पास करने के बाद पहले लर्निंग लाइसेंस मिलता है। लर्निंग लाइसेंस बनने के 6 महीने बाद स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना पड़ता है।
इस वजह से कामकाज पर पड़ा असर
कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से लाइसेंस विभाग के कामकाज पर असर पड़ा है। कोविड नियमों की वजह से बहुत कम लोगों को ही ड्राइविंग टेस्ट के लिए बुलाया जा सका। इसका सीधा असर यह हुआ कि जिन लोगों ने टेस्ट के लिए अपाइंटमेंट लिया था उनके इंतजार का समय बढ़ता गया।
Updated on:
07 Feb 2021 09:15 am
Published on:
07 Feb 2021 08:55 am
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